Ratan Tata News:-रतन टाटा जो देश के बड़े उद्योगपति थे वो हमारे बीच में नहीं रहे। लेकिन सबका एक सवाल होगा की टाटा इंडस्टी कौन संभालेगा आयगे जानते हैं ?
Ratan Tata News:-रतन टाटा, जिन्हें भारत के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक माना जाता था, का हाल ही में निधन हो गया, जिससे टाटा समूह के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं। रतन टाटा की विरासत बहुत बड़ी है, और उनके बाद अब उनकी जगह कौन लेगा, इस पर चर्चा शुरू हो गई है।
टाटा समूह का संचालन
टाटा समूह की कंपनियों का संचालन टाटा संस के अधीन होता है, जिसमें सबसे बड़ा शेयरधारक टाटा ट्रस्ट है। टाटा के दो प्रमुख ट्रस्ट हैं – सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट। इन दोनों ट्रस्टों की संयुक्त रूप से टाटा संस में 52% हिस्सेदारी है, जिससे इनकी टाटा समूह में निर्णायक भूमिका होती है। टाटा समूह का कारोबार विविध क्षेत्रों में फैला है, जिसमें विमानन, एफएमसीजी, स्टील, ऑटोमोबाइल, आईटी सेवाएं, और बहुत कुछ शामिल हैं।
रतन टाटा ने अपना उत्तराधिकारी नहीं चुना था, जिससे अब उनके ट्रस्टियों में से ही कोई अध्यक्ष के रूप में चुना जाएगा। टाटा ट्रस्ट में कुल 13 ट्रस्टी हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम विजय सिंह, वेणु श्रीनिवासन, नोएल टाटा, मेहली मिस्त्री, और डेरियस खंबाटा हैं।
नोएल टाटा का नाम सबसे आगे:
रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा का नाम संभावित उत्तराधिकारियों में सबसे आगे है। नोएल टाटा चार दशकों से टाटा समूह के साथ जुड़े हुए हैं और वह ट्रेंट, टाइटन और टाटा स्टील जैसी प्रमुख कंपनियों के बोर्ड में शामिल हैं। उन्हें 2019 में सर रतन टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया था, और 2022 में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किया गया था।
नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का प्रमुख बनाए जाने की संभावना इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि पारसी समुदाय को यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि टाटा ट्रस्ट की कमान एक पारसी के हाथों में रहे। अब तक, केवल पारसियों ने ही टाटा ट्रस्ट की कमान संभाली है। अगर नोएल टाटा को इस पद पर नियुक्त किया जाता है, तो वह सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के 11वें अध्यक्ष और सर रतन टाटा ट्रस्ट के छठे अध्यक्ष बनेंगे।
टाटा ट्रस्ट का योगदान:
टाटा ट्रस्ट का सामाजिक और आर्थिक विकास में बड़ा योगदान है। यह ट्रस्ट कई क्षेत्रों में समाज के विकास के लिए काम करता है, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, और विज्ञान। वित्त वर्ष 2023 में, इस ट्रस्ट ने 470 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया, जिससे यह भारत के सबसे बड़े परोपकारी संगठनों में से एक बन गया है।
टाटा समूह का भविष्य:
रतन टाटा के बाद, टाटा समूह के भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। नोएल टाटा के पास नेतृत्व के लिए व्यापक अनुभव और ज्ञान है, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि वह रतन टाटा की विरासत को आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे। हालांकि, टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन पहले से ही कंपनी के कारोबार का नेतृत्व कर रहे हैं, और ट्रस्ट का संचालन नोएल टाटा के हाथों में आ सकता है।
रतन टाटा का निधन भारत के कॉर्पोरेट जगत के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन उनका योगदान और विरासत हमेशा याद रखी जाएगी। अब टाटा ट्रस्ट की कमान किसके हाथों में होगी, यह निर्णय आने वाले समय में स्पष्ट हो जाएगा।