SEBI और BSE अधिकारियों पर गिरी गाज, मुंबई ACB कोर्ट ने FIR दर्ज करने को कहा

मुंबई की विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अदालत ने शनिवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व अध्यक्ष माधवी पुरी बुच, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और SEBI के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ……. जाने पूरी खबर ? SEBI

SEBI Madhabi Puri :-मुंबई की विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अदालत ने शनिवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और SEBI के अन्य शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया है।

यह केस शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और नियामक नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है। आरोप है कि SEBI और BSE के कुछ अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया और कुछ गड़बड़ियां कीं, जिससे बाजार में अनियमितताएं हुईं। इस मामले को लेकर पहले भी शिकायत दर्ज कराई गई थी, लेकिन अब कोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए FIR दर्ज करने का आदेश दिया है।

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कोर्ट का सख्त रुख
विशेष ACB कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,
“जब उपलब्ध दस्तावेजों की जांच की गई, तो साफ दिखा कि संज्ञेय अपराध हुआ है। नियामक स्तर पर गंभीर चूक हुई है और इसमें मिलीभगत के संकेत भी हैं। इसलिए निष्पक्ष जांच जरूरी है।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और SEBI ने इस मामले में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिसकी वजह से धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी हो गया। अदालत ने 30 दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट जमा करने का भी आदेश दिया है

सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ
ACB कोर्ट ने अपने आदेश में 1992 में आए हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल मामले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होता है। ऐसा न करना कानून का उल्लंघन माना जाएगा।

माधबी पुरी बुच का कार्यकाल और अचानक विदाई

SEBI की पूर्व चेयरमैन माधबी पुरी बुच का कार्यकाल 28 फरवरी 2024 को पूरा हो गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने नए सेबी अध्यक्ष के तौर पर पांडेय के नाम की घोषणा की। आमतौर पर जब कोई सेबी चेयरमैन अपना कार्यकाल पूरा करता है, तो ऑफिस में फेयरवेल (विदाई समारोह) रखा जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।

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क्या है इसकी वजह? 
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब माधबी पुरी बुच को पद छोड़ना पड़ा, तो उन्हें फेयरवेल दिए बिना ही SEBI ऑफिस से जाना पड़ा। माना जा रहा है कि उनके खिलाफ जारी कानूनी मामले और विवाद इसकी बड़ी वजह रहे। हालांकि, SEBI की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

  1. FIR दर्ज होने के बाद पुलिस इस मामले की जांच करेगी और पता लगाएगी कि शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और नियमों के उल्लंघन में SEBI और BSE के कौन-कौन से अधिकारी शामिल थे।
  2. 30 दिनों के अंदर कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट जमा करनी होगी, जिसमें अब तक हुई जांच की जानकारी दी जाएगी।
  3. अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो SEBI और BSE के अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है

यह मामला भारतीय शेयर बाजार से जुड़ी सबसे बड़ी कानूनी चुनौतियों में से एक बन सकता है, क्योंकि इसमें देश के प्रमुख वित्तीय संस्थानों के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि जांच में क्या सामने आता है और क्या कार्रवाई होती है।

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