वक्फ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को फिलहाल बड़ी राहत मिली है। 

Supreme Court Wakf Amendment Act:-वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर चल रही बहस अब एक अहम मोड़ पर है। इस कानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, लेकिन फिलहाल केंद्र सरकार को अदालत से थोड़ी राहत मिली है। सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया है, यानी अभी के लिए कानून पर रोक नहीं लगाई गई है।
हालांकि, ये मामला अब नई बेंच के सामने जाएगा, क्योंकि मौजूदा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में उन्होंने खुद कहा कि वो इस मामले में कोई अंतिम आदेश नहीं देना चाहते, क्योंकि यह एक गंभीर और विस्तृत सुनवाई का विषय है। अगली सुनवाई अब 15 मई को होगी, जिसे जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई में सुना जाएगा।
फिलहाल की स्थिति जस की तस रहेगी
कोर्ट ने सरकार को पहले दिए गए आश्वासन को बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। इसका मतलब ये है कि:
-
वक्फ बोर्ड या काउंसिल में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी
-
किसी वक्फ संपत्ति को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा
-
और न ही गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी
ये स्थिति तब तक बनी रहेगी जब तक कोर्ट कोई अंतिम या नया अंतरिम आदेश नहीं देता।
क्या है सरकार और याचिकाकर्ताओं का पक्ष?
सरकार का कहना है कि वक्फ संपत्तियों की संख्या में 2013 के बाद 116% की बढ़ोतरी हुई है, जो कि मुगल काल से भी ज्यादा है। उनका दावा है कि कई निजी और सरकारी जमीनों पर गलत तरीके से वक्फ का दावा किया गया है और इस पर रोक जरूरी है।
वहीं याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि ये नया कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता को प्रभावित करता है और ये संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है, जो हर धार्मिक समुदाय को अपनी संस्थाएं संचालित करने का अधिकार देता है।
कई दिग्गज नेता भी याचिकाकर्ता
इस मामले में अब तक 73 से ज़्यादा याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। याचिकाकर्ताओं में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता मोहम्मद जावेद, और TMC सांसद डेरेक ओ’ब्रायन जैसे नेता भी शामिल हैं।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
कोर्ट ने यह साफ किया कि ये सिर्फ प्रारंभिक सुनवाई थी और अगर जरूरत पड़ी तो आगे जाकर अंतरिम आदेश भी पारित किए जा सकते हैं। फिलहाल याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार को अपनी-अपनी दलीलें और दस्तावेज तैयार करने का समय दिया गया है।
अब आगे क्या?
अब सभी की नजरें 15 मई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। तब तक वक्फ संपत्तियों की मौजूदा स्थिति बनी रहेगी और कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा।