जब दुनिया के बड़े मंचों पर रिश्ते अक्सर केवल औपचारिक हाथ मिलाने तक सिमट जाते हैं, ऐसे में भारत और रूस की दोस्ती हर बार एक अलग मिसाल पेश करती है। जाने पूरी खबर ? 

India-Russia :-जब भी दुनिया की राजनीति में हलचल तेज होती है, तो कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो हर हाल में अपनेपन और भरोसे की मिसाल बनकर सामने आते हैं। ऐसा ही रिश्ता है भारत और रूस का। हाल ही में चीन के त्यानजिन शहर में हुई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में इस दोस्ती की एक और झलक देखने को मिली।
🤝 जयशंकर और लावरोव की गर्मजोशी भरी मुलाकात
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की मुलाकात उस वक्त हुई जब दुनिया एक बार फिर बदलाव के दौर से गुजर रही है। जैसे ही दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया और मुस्कराए, वो पल कैमरे में कैद हो गया। यह केवल एक औपचारिक हाथ मिलाना नहीं था, बल्कि दशकों पुरानी दोस्ती की एक मजबूत तस्वीर थी।
दोनों नेताओं की बॉडी लैंग्वेज, चेहरे की मुस्कान और आंखों की चमक यही दिखा रही थी कि यह रिश्ता दिल से जुड़ा है, केवल डिप्लोमैटिक नहीं।
😄 हल्के-फुल्के मज़ाक में छुपा भरोसा
मुलाकात के दौरान ऐसा भी लगा कि जयशंकर ने लावरोव से कुछ मज़ाकिया बात की, जिस पर लावरोव खुलकर हंस पड़े। इसके बाद दोनों नेता मुस्कुराते हुए बातचीत करते दिखे। यह छोटी-सी झलक ये बताने के लिए काफी थी कि इनके बीच सिर्फ राजनीतिक समझ नहीं, बल्कि पर्सनल बॉन्डिंग भी है।
🔗 भारत-रूस के रिश्तों की लंबी कहानी
भारत और रूस के संबंध किसी एक सरकार या एक समय के नहीं, बल्कि यह रिश्ता समय की कसौटी पर खरा उतरा है। चाहे वो शीत युद्ध का दौर रहा हो या आज का मल्टीपोलर वर्ल्ड, दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे का साथ निभाया है।
रक्षा क्षेत्र में भारत को रूस पर सबसे ज्यादा भरोसा रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल, एस-400 डिफेंस सिस्टम जैसे कई अहम सौदे इसकी गवाही देते हैं। जब दुनिया के कई देशों ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से दूरी बनाई, तब भारत ने न तो खुला समर्थन किया, न ही आलोचना — बल्कि संतुलन बनाए रखा और डिप्लोमैटिक संवाद जारी रखा। यही वो कूटनीतिक समझ है जो भारत-रूस रिश्ते को खास बनाती है।
🛡️ सिर्फ हथियार नहीं, रणनीति में भी साझेदार
भारत और रूस सिर्फ हथियारों की खरीद-फरोख्त तक सीमित नहीं हैं। ऊर्जा, वैश्विक मंचों पर सहयोग, संयुक्त सैन्य अभ्यास और सुरक्षा परिषद जैसे मुद्दों पर भी दोनों देश हमेशा साथ खड़े रहे हैं। चाहे बात वैश्विक आतंकवाद की हो या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन की, भारत और रूस एक-दूसरे को मजबूती से सपोर्ट करते रहे हैं।
🌍 बदलती दुनिया में अडिग दोस्ती
जयशंकर और लावरोव की ये मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब दुनिया में एक बार फिर राजनीतिक बदलाव की आहट है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की संभावनाएं हैं, और दूसरी तरफ चीन लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है। ऐसे में भारत और रूस का एक साथ खड़ा होना, ये साफ संकेत देता है कि यह दोस्ती सिर्फ अतीत नहीं, भविष्य भी है।
भारत और रूस के रिश्ते किसी कागज़ी समझौते या मंचीय भाषणों पर नहीं टिके हैं। यह एक भरोसेमंद साझेदारी है जो हर चुनौती में मजबूत होकर सामने आई है। SCO समिट में जयशंकर और लावरोव की हँसी ने वो कहा, जो शायद शब्दों से नहीं कहा जा सकता — “सच्ची दोस्ती की ज़ुबान मुस्कान होती है, और भारत-रूस की दोस्ती आज भी वैसी ही मुस्कुराती है।”