Tirupati Laddoos:-लड्डू में मिला कर खिला रहे बीफ फैट-फिश ऑयल , तिरुमला तिरुपति मंदिर में हुआ कंफर्म

Tirupati Laddoos:-तिरुपति तिरुमला मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू के बारे में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) की रिपोर्ट में जो दावे किए गए हैं, वे बेहद संवेदनशील और गंभीर हैं। रिपोर्ट में लड्डू में बीफ फैट और फिश ऑयल जैसी दूषित चीजों की उपस्थिति का आरोप लगाया गया है, जिससे लोगों की धार्मिक आस्थाओं पर सीधा आघात हुआ है,जाने Tirupati Laddoos

Tirupati Laddoos:-आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति तिरुमला मंदिर, जो दुनिया भर के करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है, इस समय एक बड़े विवाद में घिर गया है। यह विवाद मंदिर में प्रसाद के तौर पर दिए जाने वाले प्रसिद्ध “तिरुपति लड्डू” को लेकर है, जिसे लेकर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन लड्डुओं में मछली का तेल (फिश ऑयल), बीफ फैट (जानवरों की चर्बी) और अन्य दूषित सामग्री का उपयोग किया गया है। इस रिपोर्ट ने सनसनी फैला दी है, क्योंकि यह लड्डू न केवल मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ाया जाता है, बल्कि भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है।

विवाद 

इस मुद्दे की शुरुआत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा की गई थी, जब उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) की पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। नायडू ने कहा कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासन के दौरान मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचाया गया और प्रसाद के रूप में वितरित किए जाने वाले लड्डुओं में घटिया सामग्री और जानवरों की चर्बी का उपयोग किया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अन्नदानम (मुफ्त भोजन) की गुणवत्ता से भी समझौता किया गया था, और घी के स्थान पर पशुओं की चरबी का उपयोग किया गया था।

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चंद्रबाबू नायडू के इन आरोपों के बाद, NDDB द्वारा की गई जांच में पुष्टि की गई कि तिरुपति लड्डुओं में वाकई मिलावट की गई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि लड्डुओं और अन्नदानम के सैम्पल में बीफ फैट और फिश ऑयल जैसी दूषित चीजें पाई गईं। इस खुलासे ने पूरे देश में श्रद्धालुओं के बीच गहरी चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है।

राजनीतिक हंगामा

इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश की राजनीति में भी भूचाल आ गया है। एन. चंद्रबाबू नायडू ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके शासन के दौरान मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचाया गया और तिरुमाला लड्डू जैसे प्रसाद में मिलावट की गई। उन्होंने दावा किया कि अब उनकी सरकार ने इस समस्या को सुलझा लिया है और अब तिरुपति लड्डू को बनाने के लिए शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, आईटी मंत्री नारा लोकेश ने भी सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाते हुए वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के शासन की आलोचना की।

YSR कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वाई.वी. सुब्बा रेड्डी ने इन आरोपों का कड़ा जवाब दिया। सुब्बा रेड्डी ने कहा कि भक्तों की आस्था को मजबूत करने के लिए वह और उनका परिवार तिरुमाला प्रसादम के मामले में भगवान को साक्षी मानकर शपथ लेने के लिए तैयार हैं। उन्होंने चंद्रबाबू नायडू को भी चुनौती दी कि क्या वे और उनका परिवार भी शपथ लेने के लिए तैयार हैं? उनका कहना था कि वाईएसआरसीपी के शासन के दौरान मंदिर की पवित्रता को नुकसान नहीं पहुंचाया गया था, और वे इस मामले में बिल्कुल निर्दोष हैं।

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टीटीडी का बयान और सुधार

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD), जो मंदिर का प्रबंधन करता है, ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने लड्डू की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। टीटीडी ने हाल ही में डेयरी विशेषज्ञों के साथ मिलकर लड्डुओं की गुणवत्ता का आंतरिक मूल्यांकन किया और पाया कि शुद्ध घी का उपयोग लड्डू के स्वाद और गुणवत्ता के लिए महत्वपूर्ण है। टीटीडी के पास पहले उचित प्रयोगशालाएं नहीं थीं, लेकिन अब उन्होंने मैसूर में स्थित एक गुणवत्ता प्रशिक्षण संस्थान में अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है, ताकि लड्डुओं की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।

टीटीडी ने यह भी घोषणा की कि उन्होंने अब एक नई “संवेदी धारणा प्रयोगशाला” स्थापित की है, जिससे लड्डुओं में इस्तेमाल होने वाले घी और अन्य सामग्री की गुणवत्ता की जांच की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में ऐसी किसी भी मिलावट से बचा जा सके और भक्तों को शुद्ध और पारंपरिक प्रसाद प्रदान किया जा सके।

तिरुपति तिरुमला मंदिर का यह विवाद बेहद संवेदनशील है, क्योंकि यह न केवल धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा है, बल्कि हिंदुओं की आस्था का प्रतीक भी है। एनडीडीबी की रिपोर्ट के बाद उठे इस विवाद ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। हालांकि टीटीडी ने अपनी ओर से सुधार के कदम उठाए हैं, लेकिन इस विवाद ने भक्तों के मन में गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या वाकई इस विवाद का कोई संतोषजनक समाधान निकलता है।

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