Tirupati Laddu of Andhra Pradesh:-मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के इस दावे के बाद कि तिरुपति लड्डू (पवित्र प्रसाद) बनाने में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है, मंदिर प्रशासन ने घी की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। एग्जीक्यूटिव ऑफिसर ने स्वीकार किया कि लड्डू बनाने में इस्तेमाल किए जा रहे घी की क्वॉलिटी में भारी गिरावट आई है, जाने ?
Tirupati Laddu Scam:-तिरुपति बालाजी मंदिर के पवित्र लड्डुओं में घी की मिलावट को लेकर हाल ही में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि लड्डू बनाने में घी की जगह पशु चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह मामला उस समय और भी गंभीर हो गया जब तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर जे श्यामल राव ने भी इस बात की पुष्टि की कि घी की क्वालिटी में गिरावट आई है और इसमें मिलावट की जा रही है।
घी में मिलावट का खुलासा
टीटीडी द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि मंदिर में घी सप्लाई करने वाले ठेकेदारों ने आंतरिक मिलावट जांच सुविधाओं की कमी का फायदा उठाया और बाहरी सुविधाओं का भी उपयोग नहीं किया। घी के नमूने जब लैब में टेस्ट के लिए भेजे गए, तो रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उसमें जानवरों की चर्बी और लार्ड (सूअर की चर्बी) की मौजूदगी थी। यह जांच चार अलग-अलग नमूनों पर की गई, जिनमें सभी की रिपोर्ट एक जैसी थी। इसके बाद टीटीडी ने तुरंत घी की सप्लाई रोक दी और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने के साथ ही जुर्माना लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। साथ ही, इस मामले में कानूनी कार्रवाई भी शुरू की जाएगी।
घी सप्लायर कंपनी का पक्ष
घी सप्लाई करने वाली चेन्नई की कंपनी ‘आर डेयरी’ ने इस मामले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनके प्रोडक्ट्स को अधिकारियों द्वारा क्वालिटी सर्टिफाई किया गया था और उन पर कोई भी सवाल नहीं उठाया जा सकता। कंपनी ने कहा कि उन्होंने केवल जून और जुलाई में ही तिरुपति बालाजी मंदिर को घी की सप्लाई की थी और सप्लाई की गई सभी घी की खेप के साथ मान्यता प्राप्त लैब रिपोर्ट भेजी गई थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके द्वारा भेजा गया घी पूरी तरह से शुद्ध था और इसकी गुणवत्ता की जांच भी की जा सकती है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल तिरुपति मंदिर को उनका घी सप्लाई नहीं किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू का बयान
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पिछली सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने सस्ता घी खरीदने के चक्कर में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया, जो कि मंदिर की पवित्रता के साथ खिलवाड़ था। नायडू के अनुसार, जब बाजार में घी की कीमत 500 रुपये प्रति किलोग्राम थी, तब पिछली सरकार ने 320 रुपये की दर से घटिया घी खरीदा था। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने इस मिलावट को रोकने के लिए सप्लायर बदल दिए हैं और अब कर्नाटक से नंदिनी ब्रांड का उच्च गुणवत्ता वाला घी खरीदा जा रहा है।
विरोध और राजनीतिक बयानबाजी
इस विवाद के बीच, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस मुद्दे को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। रेड्डी ने कहा कि टीटीडी की टेंडर प्रक्रिया हर छह महीने में होती है और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि सप्लायर्स को एनएबीएल सर्टिफिकेट और प्रोडक्ट क्वालिटी सर्टिफिकेट देना अनिवार्य है, और केवल प्रमाणित प्रोडक्ट्स का ही उपयोग किया जाता है। रेड्डी ने टीडीपी पर धार्मिक मुद्दों का राजनीतिकरण करने का आरोप भी लगाया।
पवन कल्याण का बयान
वहीं, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण ने भी इस विवाद पर अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी पाए जाने की बात से वह बहुत परेशान हैं और उन्होंने सुझाव दिया कि मंदिरों से जुड़े मामलों पर विचार करने के लिए एक ‘सनातन’ राष्ट्रीय बोर्ड गठित किया जाए। पवन कल्याण ने राज्य सरकार से मिलावटी घी सप्लाई करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और सभी से सनातन धर्म को अपवित्र करने वाले किसी भी कृत्य का मिलकर विरोध करने की अपील की।
नतीजे और अगली प्रक्रिया
टीटीडी ने मिलावटी घी सप्लाई करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। इसमें ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट करना, जुर्माना लगाना और कानूनी कार्रवाई करना शामिल है। इसके साथ ही, मंदिर में उपयोग होने वाले घी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए आंतरिक लैब की स्थापना की प्रक्रिया शुरू की जाएगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की मिलावट से बचा जा सके।