भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम मोड़ पर बातचीत का अगला चरण गुरुवार, 5 जून को नई दिल्ली में शुरू हुआ है। जाने इसके बारे में ? 

Trump Government:-भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर चल रही चर्चाएं एक अहम मोड़ पर पहुंच चुकी हैं। गुरुवार, 5 जून को दोनों देशों के बीच ‘मिनी डील’ को लेकर अगला राउंड नई दिल्ली में शुरू हो गया। यह बातचीत ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से स्टील और एल्युमिनियम पर 50 फीसदी नया टैरिफ लागू कर दिया गया है। इसका सीधा असर भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर पड़ा है और हालात पहले से अधिक जटिल हो गए हैं।
भारत की रणनीति, संतुलन और तेजी दोनों साथ
भारत इस पूरी प्रक्रिया को संतुलित और तेज़ तरीके से आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछली बातचीत 22 मई को वाशिंगटन में हुई थी और महज़ दो हफ्तों में माहौल और अधिक जटिल हो गया है।
टैरिफ में बढ़ोतरी, अमेरिकी अदालतों के कुछ हालिया फैसले और भारत द्वारा वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में ट्रंप टैरिफ के खिलाफ की गई औपचारिक आपत्ति ने इस वार्ता को पहले से कहीं ज्यादा पेचीदा बना दिया है।
अधिकारी ने यह भी कहा, “अब बहुत अनिश्चितता है, लेकिन भारत को ऐसे रास्ते खोजने होंगे जो देश के लिए सबसे अच्छे हों।”
🗓️ डेडलाइन पास, जून के अंत तक डील की तैयारी
भारत इस ‘मिनी डील’ को 8 जुलाई की डेडलाइन से पहले जून के अंत तक अंतिम रूप देना चाहता है। इस डील के ज़रिए भारत, स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए भारी टैरिफ (50%) से छूट की मांग कर रहा है — जैसा कि ब्रिटेन को पहले ही दी जा चुकी है।
इस टैरिफ के अलावा भारत, 26% ओवरऑल ड्यूटी को भी कम करवाना चाहता है। इसके बदले में अमेरिका, भारत से अपने इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और कुछ एग्रीकल्चरल आइटम्स (जैसे सोया और मक्का) को भारतीय बाज़ार में ज्यादा एंट्री देने की मांग कर रहा है।
🚫 नॉन-टैरिफ बैरियर्स और EV पर भी चर्चा
दोनों देश नॉन-टैरिफ बैरियर्स पर भी चर्चा कर रहे हैं यानी ऐसे नियम जो सीधे तौर पर टैरिफ नहीं हैं, लेकिन व्यापार को बाधित करते हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर हाई टैरिफ भी एक बड़ा मुद्दा है।
अमेरिका लंबे समय से भारत द्वारा EV पर लगाए गए अधिक शुल्कों पर आपत्ति जता रहा है। भारत ने हाल ही में एक नई EV स्कीम लागू की है जिसके तहत कंपनियों को कम ड्यूटी (15%) पर इलेक्ट्रिक कार इम्पोर्ट करने की इजाजत दी जाएगी, बशर्ते वे अगले 3 सालों में भारत में EV निर्माण में ₹4,150 करोड़ निवेश करें।
भारत ने 3 जून को WTO में अमेरिका के EV टैरिफ को चुनौती दी है। यह दिखाता है कि भारत इस मुद्दे को वैश्विक मंचों पर भी गंभीरता से उठा रहा है।
🇺🇸 अमेरिका की चिंता: रूस से रक्षा सौदे और फार्म प्रोडक्ट्स
इस बातचीत के ठीक एक दिन पहले, 3 जून को वाशिंगटन डीसी में आयोजित USISPF (यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम) में अमेरिका के ट्रेड रिप्रजेंटेटिव जेमिसन ग्रीर ने कहा:
“भारत कुछ ऐसे कदम उठा रहा है जिससे अमेरिका को परेशानी हो रही है। उदाहरण के लिए, भारत का रूस से हथियार खरीदना एक चिंता का विषय है।”
हालांकि ग्रीर ने यह भी माना कि भारत अमेरिका से अपने रक्षा उपकरणों के आयात को बढ़ा सकता है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में संतुलन आ सकता है।
वहीं अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजार में सोया, मक्का और अन्य फार्म प्रोडक्ट्स के लिए ज्यादा एक्सेस दे। ये उत्पाद अमेरिका के लिए चीन के बाद सबसे बड़े एक्सपोर्ट्स में से हैं। इस सिलसिले में भारत सेब, ट्री नट्स और डेयरी प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क में राहत दे सकता है।
📅 आगे की योजना: सितंबर-नवंबर में ब्रॉडर डील, 2025 में BTA
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, अगर यह ‘मिनी डील’ सफल रहती है, तो सितंबर और नवंबर 2025 के बीच एक ब्रॉडर डील की घोषणा हो सकती है। इसके बाद अगले साल यानी 2026 में एक कॉम्प्रिहेंसिव बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) पर बातचीत संभव है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप पहले ही फरवरी में यह घोषणा कर चुके हैं कि 2025 के सितंबर-अक्टूबर तक दोनों देश मल्टी-सेक्टर BTA पर गंभीर बातचीत शुरू करेंगे।
इस एग्रीमेंट का मकसद है कि भारत-अमेरिका के बीच वर्तमान 191 अरब डॉलर के व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर से अधिक तक ले जाया जाए।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को लेकर काफी संभावनाएं और चुनौतियां दोनों हैं। ‘मिनी डील’ से शुरुआत कर, दोनों देश एक व्यापक समझौते की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इसके रास्ते में टैरिफ, नीतिगत मतभेद, रणनीतिक गठजोड़ और व्यापारिक प्राथमिकताएं जैसे कई कांटे हैं जिन्हें समय और समझदारी से ही सुलझाया जा सकता है।