Wakf Amendment Bill:-1 फरवरी 2025 – वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) को लेकर संसद की संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee – JPC) में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जाने इसके बारे में ? 

Wakf Amendment Bill :-1 फरवरी 2025 – वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) को लेकर संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। एआईएमआईएम (AIMIM) नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओवैसी का कहना है कि उनकी 231 पृष्ठों की असहमति टिप्पणी (Dissent Note) को बिना उनकी जानकारी के रिपोर्ट से हटा दिया गया।
ओवैसी का क्या आरोप है?
असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (Twitter) पर एक पोस्ट करते हुए कहा:
“मैंने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ संयुक्त संसदीय समिति को एक विस्तृत असहमति नोट सौंपा था। यह चौंकाने वाली बात है कि मेरी रिपोर्ट के कुछ हिस्सों को मेरी जानकारी के बिना संपादित कर दिया गया। जो हिस्से हटाए गए, वे विवादास्पद नहीं थे, बल्कि उनमें केवल तथ्य बताए गए थे।”
उन्होंने आगे कहा कि जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने जिस तरह की रिपोर्ट चाहते थे, वैसी ही तैयार करवाई, लेकिन विपक्ष की आवाज को क्यों दबाया गया? ओवैसी का कहना है कि रिपोर्ट को बदलने के लिए संसदीय प्रक्रिया के नियमों का दुरुपयोग किया गया।
पूरा मामला
- संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को वक्फ संशोधन विधेयक पर एक रिपोर्ट तैयार करनी थी।
- इस रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 के बहुमत से मंजूरी दी गई। यानी समिति में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के अधिक सदस्य होने के कारण विधेयक के पक्ष में रिपोर्ट स्वीकार कर ली गई।
- लेकिन विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति (Dissent Notes) जताई थी।
- ओवैसी ने 231 पन्नों की विस्तृत असहमति टिप्पणी दी थी, जिसमें उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक के कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई थी।
- लेकिन जब जेपीसी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर को सौंपी, तो ओवैसी का कहना है कि उनकी असहमति टिप्पणी को हटा दिया गया या संपादित कर दिया गया।
ओवैसी का जवाब – “जनता को बताऊंगा पूरा सच”
ओवैसी ने ऐलान किया है कि चूंकि उनके असहमति नोट को संसदीय रिपोर्ट से हटा दिया गया है, इसलिए वे जल्द ही इसे सार्वजनिक रूप से जारी करेंगे, ताकि जनता को पता चल सके कि उन्होंने क्या लिखा था और क्यों इसका विरोध किया था।
उन्होंने कहा –
“मुझे समझ नहीं आता कि विपक्ष की आवाज़ को इस तरह से क्यों दबाया जा रहा है? अगर मेरी असहमति टिप्पणी में कुछ गलत था, तो उसे सामने लाकर चर्चा की जानी चाहिए थी। लेकिन इसे चुपचाप हटा देना, लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।”
विपक्षी दल
ओवैसी के इस दावे के बाद, अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इस पर नाराजगी जताई है। कांग्रेस और टीएमसी के कुछ सांसदों ने भी कहा है कि विपक्ष की बातों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल की सफाई
वहीं, जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने इन आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि समिति के कामकाज में सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है और जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, वह नियमों के अनुसार है।
- ओवैसी के इस बयान के बाद संसद में इस मुद्दे पर हंगामा हो सकता है।
- अगर वे अपनी असहमति टिप्पणी को सार्वजनिक करते हैं, तो इस पर और बहस होने की संभावना है।
- सरकार की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
वक्फ संशोधन विधेयक पहले से ही एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है, और अब जेपीसी रिपोर्ट से असहमति नोट हटाने का विवाद इसे और बड़ा बना सकता है। विपक्ष का कहना है कि उनकी बातों को अनदेखा किया जा रहा है, जबकि जेपीसी का दावा है कि सभी प्रक्रियाओं का पालन हुआ है। अब देखना होगा कि संसद में इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया आती है और सरकार इस पर क्या सफाई देती है।