Waqf Amendment Bill 2024:- मोदी सरकार इस बिल को इस तरह पेश करने वाली है , जिससे यह कानून सबको समझ में आ सके और यह कानून 1923 को खत्म कर सकती है और क्या होने वाला जानते है एक एक डिटेल इसके बारे में…..
Waqf Amendment Bill 2024:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार गुरुवार को संसद में वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती से संबंधित एक महत्वपूर्ण बिल पेश करने की तैयारी कर रही है। इस बिल का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों को सीमित करना है, जो वर्तमान में उन्हें किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार देता है। यह बिल न केवल भारतीय वक्फ कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा, बल्कि वक्फ प्रबंधन की मौजूदा प्रणाली में भी व्यापक सुधार करेगा।
वक्फ कानून का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
वक्फ कानून का इतिहास ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू हुआ। 1923 में, “मुसलमान वक्फ कानून” पारित किया गया था, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की पहचान करना और उनकी सूची बनाना था। यह कानून मुस्लिम समुदाय की उस समय की शिकायतों के निवारण के लिए बनाया गया था, जिसमें कहा गया था कि वक्फ संपत्तियों पर कब्जा किया जा रहा है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, 1954 में वक्फ अधिनियम को पहली बार पारित किया गया, जब देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे। इसके 9 साल बाद, 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया, जो अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन था और जिसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड से संबंधित कामकाज के बारे में केंद्र सरकार को सलाह देना था।
1995 में, पीवी नरसिम्हा राव की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट में महत्वपूर्ण बदलाव किए, जिससे वक्फ बोर्ड की शक्ति और भी बढ़ गई। इस संशोधन के बाद, वक्फ बोर्ड के पास संपत्तियों के अधिग्रहण के असीमित अधिकार आ गए। हालांकि, 2013 में, मनमोहन सिंह की यूपीए-2 सरकार ने फिर से वक्फ एक्ट में संशोधन किया, जिससे वक्फ प्रबंधन में कुछ सुधार किए गए।
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वर्तमान बिल की विशेषताएं
1. वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती:
इस बिल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती की जाएगी, जो वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार रखता है। 1995 के वक्फ कानून के सेक्शन 40 को हटाया जा रहा है, जिसके तहत वक्फ बोर्ड को यह अधिकार दिया गया था।
2. वक्फ कानून का नया नाम:
1995 का वक्फ कानून अब “एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995” के नाम से जाना जाएगा।
3. केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में सुधार:
बिल के अनुसार, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम और गैर-मुस्लिम दोनों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, बोहरा और आगाखानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना का भी प्रस्ताव है।
4. वक्फ पंजीकरण में सुधार:
एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के तरीकों को सुव्यवस्थित करने की योजना है। इससे वक्फ संपत्तियों का अधिक पारदर्शी और संगठित प्रबंधन संभव हो सकेगा।
5. ट्रिब्यूनल संरचना में सुधार:
ट्रिब्यूनल की संरचना में भी सुधार किए जा रहे हैं, जिसमें दो सदस्यों के साथ ट्रिब्यूनल का गठन होगा। इसके अलावा, ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील के लिए 90 दिनों की मियाद तय की गई है।
6. वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण में परिवर्तन:
वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वे कमिश्नर का अधिकार जिलाधिकारी या जिलाधिकारी द्वारा नामित डिप्टी कलेक्टर को सौंपा जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण निष्पक्ष और सटीक हो।
बिल पर संभावित प्रतिक्रिया
इस बिल को लेकर संसद में हंगामा होने की पूरी संभावना है। विपक्षी दल पहले से ही इस बिल का कड़ा विरोध कर रहे हैं, यह दावा करते हुए कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला है। दूसरी ओर, सरकार का तर्क है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए आवश्यक है।
यह बिल, यदि पारित हो जाता है, तो वक्फ बोर्ड की शक्तियों में महत्वपूर्ण कटौती करेगा और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाएगा। हालांकि, इसके विरोध और समर्थन के बीच संतुलन बनाना सरकार के लिए एक चुनौती होगी।
वक्फ कानूनों में इस तरह का बदलाव भारतीय समाज और राजनीति में दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बिल के संसद में पेश होने और इसके बाद के घटनाक्रमों से देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में क्या बदलाव आते हैं।