Waqf Board के नियम का संशोधन करने के लिए ,बहुत जल्द पास होगा संसद में बिल ?

Waqf Board :-वक्फ बोर्ड बढ़ती हुए ताकत को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार बहुत जल्द इसके ऊपर एक बिल संसद में लाने वाली है , जिससे इसके पर को कुचला जाए ,और वक्फ बोर्ड की पूरी जानकारी हम आपको देने वाले है आएगे जानते इसके बारे में…..
Waqf Board

Waqf Board News:-वक्फ बोर्ड (Waqf Board) भारत में एक विशेष प्रकार की संपत्ति प्रबंधन संस्था है, जो मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन और प्रशासन करती है। इसकी स्थापना 1954 में भारतीय संविधान के तहत वक्फ अधिनियम के माध्यम से की गई थी।

वक्फ बोर्ड का गठन और उद्देश्यों:

वक्फ संपत्तियां उन संपत्तियों को कहा जाता है जो मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा धार्मिक या सामाजिक उपयोग के लिए दान की जाती हैं। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है। वक्फ बोर्ड को विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं, जिनमें वक्फ संपत्तियों की देखरेख, उनका प्रशासन और उनकी आय का उपयोग धार्मिक, शैक्षिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए करना शामिल है। वर्तमान कानून के तहत वक्फ बोर्ड को उन संपत्तियों को ‘वक्फ संपत्ति’ के रूप में घोषित करने का अधिकार होता है, जो विशेष रूप से वक्फ के उद्देश्यों के लिए दान की गई होती हैं।

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वक्फ बोर्ड का इतिहास:

  • 1954: भारत की स्वतंत्रता के सात साल बाद, 1954 में वक्फ अधिनियम पारित किया गया। उस समय देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता था।
  • 1955: अगले साल, 1955 में फिर से नया वक्फ अधिनियम लाया गया, जिसने वक्फ बोर्डों को और भी अधिक अधिकार प्रदान किए।
  • 1964: केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया, जो अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन था। इसका काम वक्फ बोर्ड से संबंधित कामकाज के बारे में केंद्र सरकार को सलाह देना होता है।
  • 1995: लगभग 30 साल बाद, पीवी नरसिम्हा राव की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट में पहली बार बदलाव किया। उन्होंने वक्फ बोर्ड की ताकत को और भी बढ़ा दिया, जिससे वक्फ बोर्ड के पास जमीन अधिग्रहण के असीमित अधिकार आ गए।
  • 2013: मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार में वक्फ एक्ट में फिर से संशोधन किया गया।

वक्फ बोर्ड पर विवाद और चर्चाएं:

वक्फ संपत्तियों का विवाद अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। वक्फ की संपत्ति पर कब्जे का विवाद लंदन स्थित प्रिवी काउंसिल तक पहुंचा था। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ब्रिटेन में जजों की एक पीठ बैठी और उन्होंने इसे अवैध करार दिया था। लेकिन, ब्रिटिश भारत की सरकार ने इसे नहीं माना और इसे बचाने के लिए 1913 में एक नया एक्ट लाई।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य:

हाल ही में, वक्फ बोर्ड की शक्तियों और अधिकारों को लेकर सरकार और जनता के बीच चर्चाएं तेज हो गई हैं। सोशल मीडिया के युग में, वक्फ बोर्ड की हिस्ट्री और जियोग्राफी की खुलकर चर्चा हो रही है। लोग वक्फ बोर्ड के नफे-नुकसान के बारे में बात करके उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं।

प्रस्तावित संशोधन:

बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र की NDA सरकार अब वक्फ बोर्ड को लेकर संसद में एक बिल ला सकती है। इस बिल का उद्देश्य वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उनके द्वारा संपत्तियों की वर्गीकरण को नियंत्रित करना है। सूत्रों के मुताबिक, मसौदा तैयार है जो इस हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है। प्रस्तावित संशोधन में वक्फ बोर्ड अधिनियम में 40 से अधिक संशोधन किए जा सकते हैं।

विरोध और समर्थन:

वक्फ बोर्ड के समर्थक और विरोधी दोनों अपनी-अपनी बातें कह रहे हैं। विरोधियों का कहना है कि वक्फ बोर्ड के पास ऐसी ताकत है, जो किसी से भी उसका घर छीन सकती है। वहीं, इसका समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि वक्फ बोर्ड के खिलाफ हो रहा दुस्प्रचार है और इसके पीछे कोई खास मंशा नहीं है।

वर्तमान स्थिति:

8 दिसंबर 2023 को वक्फ बोर्ड (एक्ट) अधिनियम 1995 को निरस्त करने का प्राइवेट मेंबर बिल राज्यसभा में पेश किया गया था। यह बिल उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पेश किया था। राज्यसभा में इस बिल को लेकर विवाद भी हुआ और उस समय इस बिल के लिए मतदान भी कराया गया। तब बिल को पेश करने के समर्थन में 53, जबकि विरोध में 32 सदस्यों ने मत दिया। उस दौरान भाजपा सांसद ने कहा था कि ‘वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995’ समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है।

वक्फ बोर्ड एक महत्वपूर्ण संस्था है जो मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों का प्रबंधन करती है। हालांकि, इसके अधिकारों और शक्तियों को लेकर विवाद और चर्चाएं लगातार जारी रहती हैं। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन से वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर अंकुश लगाने की कोशिश की जा रही है। इससे संबंधित चर्चाओं और विवादों को देखते हुए, इस विषय पर स्पष्टता और पारदर्शिता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

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