West Bengal Anti-Rape Bill:-बलात्कार करने वाले की अब खेर नहीं , इस बिल के बाद सीधे दोषी को मौत की सजा .

West Bengal Anti-Rape Bill:-हाल ही में पश्चिम बंगाल की एक घटना ने पुरे देश को शर्मसार कर दिया था , लेकिन पश्चिम बंगाल की सरकार ने एक बिल पारित किया है जिसमे दोषियों को सीधे मौत की सजा दी जाएगी आएगे जानते है इस बिल के बारे में…. Anti-Rape Bill

West Bengal Anti-Rape Bill:-पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से ‘अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक’ पारित कर दिया। इस विधेयक को बलात्कार रोधी कानून के रूप में पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाना और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाना है। विपक्ष ने भी इस विधेयक का समर्थन किया, लेकिन उनके द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को स्वीकार नहीं किया गया।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान:

  1. मृत्युदंड और आजीवन कारावास:
    विधेयक के तहत, बलात्कार की पीड़िता की मृत्यु हो जाने या उसके स्थायी रूप से अचेत हो जाने की स्थिति में दोषियों को मृत्युदंड का प्रावधान है। इसके अलावा, सामूहिक बलात्कार के दोषियों के लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रस्ताव भी किया गया है, और उन्हें पेरोल की सुविधा नहीं दी जाएगी। इसका मतलब यह है कि दोषियों को अपने जीवन का शेष समय जेल में बिताना होगा, उन्हें किसी प्रकार की राहत नहीं दी जाएगी।
  2. त्वरित जांच और सुनवाई:
    विधेयक में बलात्कार से संबंधित मामलों की जांच पूरी करने की समय सीमा को दो महीने से घटाकर 21 दिन करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, आरोप पत्र दाखिल होने के एक महीने के भीतर अदालती निर्णय सुनाने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत, अदालती कार्यवाही को तेजी से निपटाने के लिए फास्ट्रैक कोर्ट और विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाएगा। गंभीर अपराधों के मामलों में ट्रायल प्रक्रिया न्यूनतम 7 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए, जबकि पहले इसे एक महीने में पूरा किया जाता था।
  3. सजा और आर्थिक दंड:
    बलात्कार के दोषियों को आजीवन कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। सामूहिक बलात्कार के मामलों में भी जुर्माना और आजीवन कारावास के साथ मृत्युदंड का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, अगर बलात्कारी द्वारा पहुंचाई गई चोटों के कारण पीड़िता की मृत्यु हो जाती है, तो दोषी को मृत्युदंड और जुर्माना लगाया जाएगा। यदि पीड़िता कोमा में चली जाती है, तो भी दोषी को मृत्युदंड और जुर्माना भुगतना होगा।
  4. सूचना के प्रकाशन पर सजा:
    विधेयक में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति बलात्कार से संबंधित अदालती कार्यवाही की जानकारी प्रकाशित करता है या पीड़िता की पहचान उजागर करता है, तो उसे तीन से पांच साल की कैद की सजा हो सकती है। यह प्रावधान पीड़िता की निजता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है।
  5. कानूनी प्रावधानों में संशोधन:
    इस विधेयक में भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) 2012 के तहत प्रासंगिक प्रावधानों में संशोधन की मांग की गई है। यह संशोधन सभी उम्र के पीड़ितों पर लागू होगा, जिससे बलात्कार के मामलों में दोषियों को और भी कठोर सजा दी जा सकेगी।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस विधेयक को पारित करने के बाद अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह विधेयक सुनिश्चित करेगा कि महिला उत्पीड़न और बलात्कार के मामलों में सख्त से सख्त सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि इसके तहत बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, अगर उनके कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वे गंभीर मस्तिष्क क्षति का शिकार हो जाती हैं। इसके अलावा, उन्होंने इस विधेयक को पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया।

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विपक्ष की प्रतिक्रिया:

विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि हम इस कानून का तत्काल क्रियान्वयन चाहते हैं। उन्होंने राज्य सरकार से विधेयक को शीघ्रता से लागू करने की मांग की और कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस कानून के परिणाम सुनिश्चित करे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि विशेष सत्र बुलाने और विधेयक को पेश करने के दौरान विपक्ष से कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया, जो कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एकतरफा फैसला था।

कानूनी विशेषज्ञों की राय:

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिम बंगाल

विधानसभा द्वारा इस विधेयक को पारित कर देना पर्याप्त नहीं होगा, क्योंकि इसमें केंद्रीय कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन की आवश्यकता है। इसलिए, इसे राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही सख्त कानून मौजूद हैं। इस संदर्भ में पश्चिम बंगाल सरकार के इस फैसले की कुछ हलकों में आलोचना भी हो रही है।

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डॉक्टरों का विरोध और मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया:

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की एक महिला डॉक्टर के साथ हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद राज्य में तनाव की स्थिति बन गई है। पिछले महीने इस महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने पुलिस आयुक्त विनीत गोयल के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने बीबी गांगुली स्ट्रीट पर धरना दिया, जिसमें कई आम नागरिक और छात्रों ने भी भाग लिया। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए सख्त सुरक्षा इंतजाम किए थे।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने मृतक डॉक्टर के माता-पिता से बात की और उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया। उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है।

विधेयक का महत्व और भविष्य:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस विधेयक को महिला सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि यह विधेयक राष्ट्रीय स्तर पर एक मॉडल बनेगा और अन्य राज्य भी इसे अपनाएंगे।

विधेयक का उद्देश्य राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण लगाना और दोषियों को कठोर सजा दिलाना है। हालांकि, इसे पूरी तरह से लागू करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करना आवश्यक होगा।

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