Yawn for science:-दूसरे आदमी को देख कर हम क्यों मारते है उबासी ?जाने इसके पीछे का कारण .

Yawn for science :- जब एक आदमी उबासी लेता है तो उसको देखकर दूसरा आदमी भी क्यों लेने लग जाता है उबासी , जाने इसके पीछे का विज्ञान.Yawn for science

 

Yawn :-जब हम अपना दिन शुरू करते है तो सुबह एक बार जरूर उबासी लेते है ,जो की एक सामान्य बात है लेकिन अपने सामने कोई उबासी लेता है तो हमें उबासी जरूर आती है इसके पीछे भी विज्ञान काम करता है.आमतौर पर माना जाता है कि जब कोई एक ही काम करते-करते थक जाता है या फिर उसे आलस्य आ रहा होता है, तो उसे उबासी आने लगती है. क्या वाकई ऐसा ही है?जब हम किसी और को ऐसा करते हुए देखते हैं. क्या ये सिर्फ आलस्य की निशानी है या फिर इसके पीछे कोई वैज्ञानिक वजह भी काम करती है?

उबासी में क्या होता है:-अगर उबासी को देखा जाए तो यह एक सामान्य प्रक्रिया है. यह कोई बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण नहीं है फिर भी दूसरे को देखकर हमें क्यों उबासी आती है वैज्ञानिकों ने इसके जवाब की खोज की है, जिसका कनेक्शन सीधा हमारे दिमाग से निकला. इटैलियन वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके पीछे मिरर न्यूरॉन का हाथ होता है. ये न्यूरॉन कुछ भी नया सीखने, नकल करने और सहानुभूति दिखाने से जुड़ा हुआ है. ये अपने नाम के मुताबिक ही सामने वाले की प्रतिछाया तैयार करता है. यही वजह है कि किसी को उबासी लेते हुए देखकर ब्रेन का मिरर न्यूरॉन सक्रिय हो जाता है और हम वैसा ही करने लगते हैं.

इस न्यूरॉन की खोज जियोकोमो रिजोलाटी नाम के न्यूरोबायोलॉजिस्ट ने की थी. पहले बंदर के दिमाग पर रिसर्च करके उन्होंने इसकी एक्टिविटी समझी थी. जब इंसानों में ये एक्सपेरिमेंट किया गया, तो पता चला कि यहां भी वो बिल्कुल वैसे ही काम करता है. मिरर न्यूरॉन दिमाग के चार हिस्सों में पाया जाता है. इनके काम करने की क्षमता पर ही ये न्यूरॉन भी अपना प्रभाव छोड़ता है. ऑटिज़्म, सीज़ोफ्रीनिया और दिमाग से जुड़ी कुछ बीमारियों में ये न्यूरॉन प्रभावित होता है और इसकी क्षमता कम हो जाती है.

 

 

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