डरावनी आवाज़ की कहानी

यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जिसमें एक अत्यंत पुराना और भूतिया हवेली स्थित था। हवेली के बगीचे में लगे अबने पेड़ों के नीचे हर कोई डर के माहौल का महसूस करता था।

गाँववालों के अनुसार, वहाँ रात के समय अजीब-अजीब आवाज़ें आती थीं। जो डर की भी नहीं सुनी जा सकती थीं। कुछ लोग कहते थे कि वहाँ किसी आत्मा का वास था, जबकि दूसरे लोग मानते थे कि वहाँ कोई अन्य अजीब जानवर रहता है, जो रात के समय हवेली के बगीचे में वांछित खून के प्यासे होते हैं।

एक दिन, गाँव का एक युवक, रवि नामक, उस हवेली की खोज में निकला। वह उसे एक रात के लिए रुकने का निर्णय करता है, ताकि वह सच्चाई को जान सके।

रात के समय, रवि नामक को अजीब-अजीब आवाज़ें सुनाई देने लगती हैं। वह अपनी कमरे से बाहर निकलता है और वहाँ कुछ देखता है जो उसे दिल की धड़कन तेज कर देता है।

हवेली के बगीचे में, एक पुराना और डरावना पेड़ खड़ा है, और उसकी शाखाओं पर कुछ आत्माएँ बैठी हैं। वे आवाज़ें कर रहीं हैं, “कोई हमारी मदद करो, हमें छुड़ लो!” रवि नामक डर के मारे पर्याप्त होता है, लेकिन फिर उसका साहस बढ़ता है और वह पेड़ के पास जाता है।

पेड़ के पास जाकर वह देखता है कि वहाँ एक बड़ा बिल्ला बैठा है, जो आत्माओं को खा रहा है। रवि नामक को समझ में आता है कि यही वह जानवर है, जिसके बारे में गाँववालों की कहानियाँ जानकर वह घर के बाहर जाने का निर्णय लेता है।

रवि नामक बिल्ले के पास जाता है और उसे बड़े गर्मी से आवाज़ें देता है, जिससे वह बिल्ला डर कर भाग जाता है। बिल्ले के भागने के बाद, वहाँ बैठी आत्माएँ धन्य होती हैं और रवि नामक का आभार व्यक्त करती हैं।

इसके बाद, हवेली की डरावनी आवाज़ें रुक जाती हैं, और गाँव के लोग सुकून से रह सकते हैं। रवि नामक गाँव के हीरो के रूप में मान्यता प्राप्त करता है, और वह हवेली के बगीचे में अब एक सशक्त आत्माओं के साथ बिताता है।

इसका सिखने का संदेश है कि डर को मात देने के लिए हमें अपने साहस और संवाद कौशल का सहारा लेना चाहिए, और जो चीज़े हमारे आसपास भूतिया या अजीब लगती हैं, वे हमारे विचारों से अधिक बड़ी हो सकती हैं।

 

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