Air Pollution:-देश की राजधानी दिल्ली भी इस बार भी Air Pollution की शिकार हो गई, जो की हर भार की तरह होती है , लेकिन यह महानगर अन्य महानगर की तरह Air Pollution को कंट्रोल क्यों नहीं कर पा रहा है जाने ? 

Air Pollution:-दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है, और इस स्थिति का असर हर सर्दियों में और भी गंभीर हो जाता है। राष्ट्रीय राजधानी में कई कारक मिलकर हवा को जहरीला बना रहे हैं, जिसमें मौसम, हवा की दिशा, पराली जलाना, वाहनों का धुआं, और निर्माण कार्य जैसे तत्व शामिल हैं। दिल्ली की हवा को साफ समझने और इसे अन्य शहरों की तुलना में अधिक प्रदूषित होने के कारणों को समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है:
1. दिल्ली का प्रदूषण क्यों खतरनाक स्तर पर है?
- AQI के आंकड़े: आज, यानी 5 नवंबर को सुबह 11 बजे, दिल्ली का AQI 397 था, जो बेहद खराब माना जाता है। इसकी तुलना में मुंबई का AQI 170 और कोलकाता का 114 है। इसका मतलब है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर कहीं अधिक खतरनाक है।
- AQI का महत्व: AQI (Air Quality Index) 0 से 500 के बीच मापा जाता है। 0-50 तक का AQI अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 401-500 गंभीर श्रेणी में आता है।
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2. दिल्ली में प्रदूषण
- प्रभाव: दिल्ली में हवा की दिशा और गति पर प्रदूषण का स्तर काफी निर्भर करता है। सर्दियों में, हवा की गति धीमी हो जाती है और तापमान भी गिरता है, जिससे प्रदूषक कण जमीन के करीब रुक जाते हैं और फैल नहीं पाते।
- पराली जलाना: दिल्ली से सटे राज्यों, जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने का असर दिल्ली की हवा पर पड़ता है। अक्टूबर-नवंबर में, पराली जलाने से निकलने वाला धुआं दिल्ली की ओर आकर प्रदूषण को और बढ़ा देता है।
- वाहन और फैक्ट्री प्रदूषण: दिल्ली में वाहनों की संख्या बहुत अधिक है, और फैक्ट्रियों का भी योगदान है, जो निरंतर प्रदूषण फैलाते हैं। इससे निकलने वाला धुआं लगातार हवा की गुणवत्ता को बिगाड़ता है।
- निर्माण कार्य: दिल्ली में चल रहे बड़े-बड़े निर्माण कार्यों के कारण धूल और अन्य प्रदूषक भी बढ़ जाते हैं, जो हवा की गुणवत्ता को और गिराते हैं।
- पटाखों का इस्तेमाल: त्योहारों में पटाखों के उपयोग से भी प्रदूषण काफी बढ़ जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखों पर रोक लगाई थी, लेकिन इसका पालन न होने के कारण स्थिति और बिगड़ गई।
3. सर्दियों में प्रदूषण अधिक क्यों होता है?
- तापमान का असर: स्काईमेट के मौसम विज्ञानी महेश पलावत के अनुसार, सर्दियों में तापमान गिरने से हवा की गति धीमी हो जाती है। इस वजह से प्रदूषण कण ऊपर उठने के बजाय जमीन के करीब जम जाते हैं, जिससे AQI गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है।
- मिश्रण की ऊंचाई: सर्दियों में मिश्रण की ऊंचाई (mixing height) काफी घट जाती है, जो आमतौर पर केवल 200-300 मीटर तक रह जाती है। इससे प्रदूषक कण ऊपर नहीं जा पाते और हवा के निचले स्तर में ही बने रहते हैं।
- गर्मी में क्यों कम होता है प्रदूषण? गर्मियों में उच्च तापमान के कारण मिश्रण की ऊंचाई बढ़ जाती है, जिससे प्रदूषक कण वातावरण में ऊपर फैल सकते हैं। हवा की गति भी बढ़ी होती है, जो प्रदूषण को हटा देती है।
4. सुप्रीम कोर्ट
- सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर रोक का पालन न होने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है और पुलिस से भी जवाब मांगा है। कोर्ट का मानना है कि नियमों का पालन न होने से प्रदूषण की स्थिति और खराब हो गई है, जो कि दिल्ली की सरकार और प्रशासन के लिए चिंता का विषय है।
5. महानगरों से तुलना
- मुंबई और कोलकाता: मुंबई का AQI 170 और कोलकाता का 114 है, जो दिल्ली से काफी कम है। ये शहर भी बड़े महानगर हैं, लेकिन प्रदूषण का स्तर दिल्ली जितना नहीं है। मुंबई में समुद्र के किनारे होने की वजह से हवा का प्रवाह बेहतर होता है, जो प्रदूषण को कम करता है। वहीं, कोलकाता में भी हवा के बहाव के कारण प्रदूषक कण फैलते रहते हैं।
- बेंगलुरु और चेन्नई: चेन्नई में AQI 107 और बेंगलुरु में 41 है, जो साफ हवा को दर्शाता है। इन शहरों में दिल्ली जैसी स्थिति इसलिए नहीं है क्योंकि यहां परालियों का प्रभाव नहीं पड़ता और हवा की गति और तापमान स्थिर होते हैं।
दिल्ली का प्रदूषण एक बहु-आयामी समस्या है, जो मौसम, पराली जलाने, वाहनों की संख्या, निर्माण कार्य, और पटाखों के उपयोग जैसे कई कारकों के कारण उत्पन्न होती है। जब तक इन सभी स्रोतों को नियंत्रित नहीं किया जाता, तब तक दिल्ली की आब-ओ-हवा में सुधार लाना मुश्किल है।