Bangladesh:-बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक उथल-पुथल के बाद भारत के प्रति वहां की नई सरकार और उसके समर्थकों का रुख सख्त और असहज होता दिखाई दे रहा है। जाने पूरा मामला ? 

Bangladesh :-शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में नई सरकार बनने के साथ भारत के प्रति रुख में तीखापन दिखाई दे रहा है। भारत, जिसने 1971 में बांग्लादेश की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी, अब उस पड़ोसी देश से तल्ख बयानबाजी का सामना कर रहा है। यह स्थिति उन संबंधों को प्रभावित कर सकती है, जो भारत और बांग्लादेश के बीच दशकों से चले आ रहे हैं।
त्रिपुरा से बिजली आपूर्ति
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने सोमवार को बताया कि बांग्लादेश पर राज्य का करीब 200 करोड़ रुपये बकाया है। यह भुगतान बिजली आपूर्ति के बदले होना है, जो त्रिपुरा राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (TSECL) के जरिए बांग्लादेश को दी जा रही है। बिजली आपूर्ति की मात्रा 60-70 मेगावाट है और इसे एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड के माध्यम से किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा,
“बांग्लादेश ने अब तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है, और यह बकाया हर दिन बढ़ रहा है। हमें उम्मीद है कि वे जल्द ही भुगतान करेंगे, ताकि बिजली आपूर्ति बाधित न हो।”
बिजली आपूर्ति रोकने का फैसला फिलहाल टला
जब उनसे पूछा गया कि अगर बांग्लादेश बकाया राशि का भुगतान नहीं करता, तो क्या बिजली आपूर्ति रोक दी जाएगी, तो उन्होंने कहा,
“इस पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन हमें यह समझना होगा कि हालात कब तक संभाले जा सकते हैं।”
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक मशीनरी बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह और उसके इलाकों से लाई गई थी। इसके बाद, दोनों देशों के बीच एक समझौते के तहत 2016 में बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति शुरू हुई।
सीमा
त्रिपुरा राज्य की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भारत और बांग्लादेश के संबंधों का प्रभाव यहां सबसे अधिक महसूस किया जा सकता है। त्रिपुरा की कुल सीमा का 84 प्रतिशत (करीब 856 किलोमीटर) बांग्लादेश के साथ जुड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री ने बताया कि बांग्लादेश में हाल के राजनीतिक उथल-पुथल पर राज्य सरकार नजर बनाए हुए है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगस्त में शुरू हुए तनाव के बावजूद बांग्लादेश से कोई बड़ी अवैध आवाजाही नहीं हुई है।
भारत का ऐतिहासिक योगदान और मौजूदा संकट
भारत ने बांग्लादेश को 1971 में आजादी दिलाने के लिए न केवल सैन्य मदद की थी, बल्कि उसके पुनर्निर्माण में भी योगदान दिया। आज, जब भारत से बिजली जैसी मूलभूत सेवाएं बांग्लादेश को दी जा रही हैं, तो इस तरह का व्यवहार दोनों देशों के रिश्तों के लिए चिंताजनक हो सकता है।
त्रिपुरा सरकार बकाया राशि को लेकर फिलहाल सकारात्मक रवैया बनाए हुए है, लेकिन अगर भुगतान में देरी होती रही, तो यह विवाद दोनों देशों के संबंधों में और खटास ला सकता है। दूसरी ओर, भारत-बांग्लादेश के रिश्तों को सुधारने के लिए संवाद और समझौते की राह पर चलना आवश्यक होगा।