CDSCO की warning में 49 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल, चार दवाएं नकली घोषित , जाने

CDSCO warning :- निरीक्षण के बाद CDSCO ने चार दवाओं को “नकली” घोषित किया है CDSCO ने कहा है कि ऐसे बैच की दवाओं को बाजार से वापस मंगवाया जा रहा है, ताकि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके, जाने पूरा मामला ?  CDSCO

 

CDSCO:-केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने हाल ही में अपने मासिक निरीक्षण के बाद एक चेतावनी जारी की है, जिसमें कुछ दवाओं के बैचों को नकली और निम्न गुणवत्ता का पाया गया है। इस रिपोर्ट में चार दवाओं को “नकली” घोषित किया गया है, और 49 अन्य दवाओं और फॉर्मुलेशनों को ‘क्वालिटी में कमी’ यानी गुणवत्ता की कमी की सूची में रखा गया है। ये दवाएं अब वापस मंगवाई जा रही हैं ताकि मरीजों की सेहत पर इनका खराब असर न पड़े।

कैसे होती है दवाओं की जांच?

CDSCO हर महीने देशभर के कई स्थानों से अलग-अलग दवाओं के बैचों के नमूने एकत्रित करती है और उनका निरीक्षण करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाजार में आने वाली सभी दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी उतरें। इस बार के निरीक्षण में लगभग 3000 दवाओं का परीक्षण किया गया, जिनमें से 49 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गईं, यानी वे मानकों के अनुरूप नहीं थीं। इसके अलावा, चार दवाएं नकली पाई गईं, जिसका मतलब है कि वे पूरी तरह असली दवाओं का रूप लेकर मरीजों को बेची जा रही थीं, लेकिन उनमें वह प्रभाव नहीं था जो असली दवाओं में होना चाहिए।

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किन दवाओं को बताया गया है लो क्वालिटी?

इन लो क्वालिटी दवाओं में कई महत्वपूर्ण दवाएं शामिल हैं, जैसे:

  • मेट्रोनिडाजोल टैबलेट्स – जो हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स द्वारा बनाई जाती हैं और आमतौर पर संक्रमण के इलाज में दी जाती हैं।
  • डोमपेरिडॉन टैबलेट्स – रेनबो लाइफ साइंसेज द्वारा निर्मित, जो आमतौर पर पाचन से जुड़ी समस्याओं में दी जाती हैं।
  • ऑक्सिटोसिन – पुष्कर फार्मा का यह इंजेक्शन प्रसव के दौरान दिया जाता है।
  • मेटफॉर्मिन – स्विस बायोटेक पेरेंटारेल्स द्वारा निर्मित, जो डायबिटीज में कारगर है।
  • कैल्शियम और विटामिन D3 की गोलियां – लाइफ मैक्स कैंसर लेबोरेट्रीज द्वारा बनाई गईं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती हैं।
  • PAN 40 – अल्केम लैब्स द्वारा निर्मित, जो एसिडिटी और गैस की समस्याओं में दी जाती है।

इनके अलावा, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की पेरासिटामोल टैबलेट्स को भी क्वालिटी में कमी वाली दवाओं की सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कैल्शियम व विटामिन D3 सप्लीमेंट्स से संबंधित दवाएं भी शामिल हैं। एक नॉन-स्टेराइल गौज रोलर बैंडेज को भी गुणवत्ता में कमी वाली श्रेणी (NSQ) में रखा गया है, जो घावों को बाँधने में उपयोग होता है।

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क्यों है यह कदम जरूरी?

लो गुणवत्ता वाली दवाएं, जिन्हें NSQ (Not of Standard Quality) कहा जाता है, वो दवाएं होती हैं जो या तो राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं करतीं। ऐसी दवाओं का प्रभाव अपेक्षा से कम होता है, जिससे मरीजों को लाभ नहीं होता और उनकी सेहत पर बुरा असर भी पड़ सकता है। CDSCO का यह मासिक निरीक्षण भारतीय बाजार में दवाओं की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बेहद अहम है।

CDSCO के अनुसार, उनकी नियमित निगरानी और जांच की वजह से भारत में गुणवत्ता में कमी वाली दवाओं का प्रतिशत कम होकर केवल 1% पर आ गया है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI), डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने बताया कि कुल दवाओं का मात्र 1.5% हिस्सा ही कम प्रभावी पाया गया है। पिछले महीने भी CDSCO ने 50 से अधिक दवाओं को क्वालिटी टेस्ट में असफल घोषित किया था, जो बताता है कि दवाओं की गुणवत्ता पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर जोर

CDSCO का यह कदम भारतीय बाजार में नकली और निम्न गुणवत्ता वाली दवाओं के खतरे को कम करने के लिए है ताकि मरीजों को सुरक्षित और असरदार दवाएं ही मिल सकें। बाजार में वापस मंगवाई जा रही दवाएं बैच के आधार पर चिन्हित की गई हैं, जिससे वे वापस बुलाए जाने के बाद इस्तेमाल न हों।

इस सतर्कता से CDSCO का उद्देश्य है कि मरीजों के लिए केवल उच्च गुणवत्ता और सुरक्षित दवाएं उपलब्ध हों।

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