Delhi Assembly Election 2025:-दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीतियां तेज कर दी हैं। खासकर मुस्लिम वोटर्स को साधने की कोशिश हर पार्टी की प्राथमिकता बनी हुई है। जाने इसके बारे में ? 

Delhi Assembly Election 2025:-दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का ऐलान हो चुका है। 5 फरवरी को एक चरण में वोटिंग होगी और 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। सभी प्रमुख पार्टियों—आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और कांग्रेस—की नजरें इस बार भी मुस्लिम वोटर्स पर टिकी हुई हैं। दिल्ली की 12.9% मुस्लिम आबादी कई विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है। खासकर 11-12 ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स का रुझान सीधे चुनावी परिणाम तय कर सकता है।
मुस्लिम वोटर्स
दिल्ली में मुस्लिम वोटर्स पारंपरिक रूप से भाजपा के खिलाफ रहे हैं। इसकी वजह भाजपा की नीतियों को लेकर मुस्लिम समुदाय में असंतोष और उनके मुद्दों पर संवेदनशीलता की कमी मानी जाती है। मुस्लिम वोटर्स हमेशा उस पार्टी का समर्थन करते हैं, जो भाजपा को हराने की मजबूत संभावना रखती है।
2013 से अब तक का आंकड़ा
- 2013 के चुनाव
कांग्रेस ने 6 सीटें जीतीं, जिनमें से कई मुस्लिम बहुल थीं। - 2015 के चुनाव
AAP ने मुस्लिम वोटर्स को अपने पक्ष में कर लिया और 11 मुस्लिम बहुल सीटों में से 10 पर जीत हासिल की। इस दौरान कांग्रेस के वोट शेयर में 18% की भारी गिरावट आई। - 2020 के चुनाव
AAP ने फिर से सभी 11 मुस्लिम बहुल सीटों पर कब्जा किया। कांग्रेस इन सीटों पर तीसरे स्थान पर रही, जबकि भाजपा दूसरे स्थान पर रही।
2025 में मुस्लिम वोटर्स
इस बार का चुनाव दिलचस्प है क्योंकि मुस्लिम वोटर्स की वफादारी का समीकरण बदलने के संकेत मिल रहे हैं।
दिल्ली की प्रमुख मुस्लिम बहुल सीटें
विधानसभा क्षेत्र | मुस्लिम वोट प्रतिशत |
---|---|
सीलमपुर | 50% |
मटिया महल | 48% |
ओखला | 43% |
बल्लीमारान | 38% |
मुस्तफाबाद | 36% |
बाबरपुर | 35% |
इन सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का झुकाव तय करेगा कि आम आदमी पार्टी, कांग्रेस या भाजपा में से किसका पलड़ा भारी रहेगा।
AIMIM का डेब्यू
इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) दिल्ली में अपना डेब्यू कर रही है। AIMIM मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। माना जा रहा है कि इससे मुस्लिम वोटर्स के बीच बंटवारा हो सकता है।
- अगर AIMIM मुस्लिम वोटर्स को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहती है, तो इसका सीधा नुकसान AAP और कांग्रेस को होगा।
- भाजपा अप्रत्यक्ष रूप से इसका फायदा उठा सकती है, क्योंकि मुस्लिम वोटों का बंटवारा उसे मजबूत स्थिति में ला सकता है।
लोकसभा चुनाव
2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 7 मुस्लिम बहुल सीटों पर बढ़त हासिल की थी, जबकि 3 पर भाजपा और 1 पर AAP आगे रही। यह नतीजे बताते हैं कि मुस्लिम वोटर्स अभी भी कांग्रेस की ओर झुक सकते हैं, अगर पार्टी उन्हें भरोसा दिलाने में कामयाब होती है।
मुस्लिम वोटर्स को लेकर पार्टियों की रणनीति
- AAP:
- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का फोकस शिक्षा, स्वास्थ्य, और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं पर रहेगा।
- AAP के लिए चुनौती AIMIM और कांग्रेस से मुस्लिम वोटर्स को खींचने की है।
- कांग्रेस:
- पार्टी मुस्लिम वोटर्स को साधने के लिए भरोसेमंद चेहरों और सामुदायिक मुद्दों को चुनावी अभियान में प्राथमिकता देगी।
- कांग्रेस का अभियान इस बात पर निर्भर करेगा कि वह मुस्लिम बहुल इलाकों में कितनी प्रभावी रणनीति अपनाती है।
- AIMIM:
- ओवैसी की पार्टी मुस्लिम वोटर्स के बीच अपनी पहचान बनाने के लिए नई और आक्रामक रणनीति अपना सकती है।
दिल्ली में मुस्लिम वोटर्स का फैसला इस बार भी महत्वपूर्ण रहेगा। हालांकि, यह साफ है कि मुस्लिम समुदाय भाजपा के खिलाफ रहेगा। अब सवाल यह है कि यह वोट AAP और कांग्रेस के बीच कैसे बंटता है और AIMIM इसमें कितना सेंध लगा पाती है। पार्टियों के लिए मुस्लिम वोटर्स का समर्थन चुनावी सफलता की चाबी साबित होगा।