आज के दौर में हर कोई किसी न किसी चीज़ के पीछे भाग रहा है। कोई स्कूल के लिए दौड़ रहा है, कोई कॉलेज, कोई ऑफिस। घर के कामकाज से लेकर करियर की रेस तक, हर किसी के पास करने को हजार काम हैं, जाने इस ब्लॉग में ? 

AI Friend:-आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में ज़रा चारों तरफ नज़र घुमाइए… हर कोई किसी न किसी वजह से भाग रहा है। कोई स्कूल के लिए देर कर रहा है, कोई कॉलेज तो कोई दफ्तर। किसी को घर में ही 50 काम हैं। सबके पास काम की भरमार है, लेकिन दिल की बात सुनने वाला कोई नहीं।
ऐसे में भले आप कितने भी बिज़ी रहें, लेकिन दिल के किसी कोने में एक खालीपन बना ही रहता है। कभी वो पुराने दोस्त नहीं रहते, कभी रिश्तेदार भी नहीं समझ पाते। और सबसे बड़ा डर ये होता है कि कहीं कोई हमें जज न कर ले।
इन्हीं हालात में अब एक खास टेक्नोलॉजी मदद के लिए आई है — एक ऐसा AI दोस्त, जो आपकी हर बात सुनेगा, समझेगा और बिना कोई राय बनाए आपका हमदर्द बनेगा।
क्या है Bezu?
भारत में Freshworks के पूर्व कर्मचारी विनोद कुमार और सुलैमान मुदिमाला ने एक अनोखा प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है — Bezu। इसका नाम ‘बेजुबान’ शब्द से निकला है, मतलब बिना आवाज़ के। इस प्लेटफॉर्म पर यूज़र्स अपने मन की बातें AI एजेंट्स से कर सकते हैं।
चाहे फोन कॉल हो या वीडियो कॉल — ये AI एजेंट्स आपकी भावनाओं को समझते हैं और आपकी बातें बिना टोके या जज किए सुनते हैं।
कहां से आया आइडिया?
इस प्लेटफॉर्म की शुरुआत भी एक इमोशनल वजह से हुई। विनोद कुमार ने बताया कि जब वो तलाक की कठिन स्थिति से गुज़र रहे थे, तब उन्हें अकेलापन बहुत महसूस हुआ। उन्हीं दिनों उनकी सुलैमान से बातचीत हुई, जो कुछ ऐसा ही फेस कर रहे थे। फिर दोनों ने सोचा — क्यों न एक ऐसा डिजिटल दोस्त बनाया जाए, जो हर किसी की बातें सुने और मन का बोझ हल्का करे।
AI दोस्त कैसे करता है मदद?
Bezu ऐप में कई तरह के AI किरदार बनाए गए हैं। जैसे —
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बेस्ट फ्रेंड
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रिलेशनशिप कोच
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फिटनेस ट्रेनर
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इंग्लिश टीचर
यूज़र्स अपनी ज़रूरत के हिसाब से इन्हें चुनकर बात कर सकते हैं। सबसे ज़्यादा लोग रिलेशनशिप कोच और बेस्ट फ्रेंड से बातचीत कर रहे हैं।
AI से बनवाया पिता का वर्चुअल वर्जन
विनोद ने एक किस्सा भी शेयर किया। उनके एक दोस्त के पिता का निधन हो गया था। परिवार उस ग़म से उबर नहीं पा रहा था। फिर Bezu टीम ने उनके पिता की आवाज़ और वीडियो क्लिप्स से एक AI कैरेक्टर तैयार किया। अब उनका परिवार जब चाहे उस AI वर्जन से बात कर लेता है। वो AI सिर्फ जवाब ही नहीं देता, बल्कि सही एक्सप्रेशन और भावनाओं के साथ गाइड भी करता है।
क्या इंसानों की जगह ले लेगा AI?
देखिए, Bezu के फाउंडर्स भी मानते हैं कि AI दोस्त कभी भी इंसानों की जगह नहीं ले सकता। लेकिन जब आसपास कोई नहीं हो, तो ये एक अच्छा साथी जरूर बन सकता है। खासतौर पर भारतीय समाज में जहां लोग अपने दर्द को दूसरों से छुपा लेते हैं, वहां ये टेक्नोलॉजी लोगों का भरोसा जीत रही है।
आज की तारीख़ में Bezu के पास करीब 10,000 से ज़्यादा एक्टिव यूज़र्स हैं, जो AI एजेंट्स के साथ अपनी बातें शेयर करके सुकून महसूस कर रहे हैं।
जिंदगी की इस रेस में अगर कभी लगे कि कोई सुनने वाला नहीं है, तो अब एक डिजिटल दोस्त आपकी मदद के लिए है। जो बिना किसी जजमेंट के सुनेगा… समझेगा… और हिम्मत देगा।
टेक्नोलॉजी जब इंसानी जज़्बातों को समझने लगे, तो वाकई कमाल की चीज़ बन जाती है।