Food Quality Test:-स्ट्रीट फूड जो हर व्यक्ति को पसंद आते है, पर कर्नाटक के अंदर फूड टेस्टिंग किट्स में यह फेल हो गए है। और आने वाले समय में इस पर प्रतिबंध लगाने का विचार चल रहा है , जाने पूरी खबर ?
Food Quality Test:-राज्य के फूड विभाग ने हाल ही में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को लेकर सख्त कदम उठाए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है कि लोग जो भी खाना खाएं, वो सुरक्षित और शुद्ध हो। पहले ही गोभी मंचूरियन जैसे स्ट्रीट फूड में मिलाए जाने वाले रंगों और हानिकारक रसायनों पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। इसका कारण था कि ये कृत्रिम रंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। अब, विभाग ने सार्वजनिक जगहों जैसे मॉल, बाजार और स्ट्रीट फूड स्टॉल पर “फूड टेस्टिंग किट” लगाकर खाद्य पदार्थों की जांच शुरू कर दी है।
यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि खाने-पीने की चीजों में मिलावट और खराब गुणवत्ता की चीजें लोगों तक न पहुंचें। इस नई जांच प्रक्रिया ने गोलगप्पे के प्रशंसकों के बीच चिंता पैदा कर दी है। उन्हें डर है कि कहीं इस लोकप्रिय स्ट्रीट फूड पर भी प्रतिबंध न लग जाए। खासकर बेंगलुरु में, जहां फूड विभाग ने रैंडम तरीके से 200 से ज्यादा जगहों से गोलगप्पे के नमूने इकट्ठा कर जांच के लिए भेजे हैं।
गोलगप्पे की जांच क्यों हो रही है? गोलगप्पे की पुरी और पानी की गुणवत्ता को लेकर पिछले कुछ समय में कई शिकायतें आई थीं। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि गोलगप्पे के स्वाद और कुरकुरेपन को बढ़ाने के लिए यूरिया जैसे खतरनाक पदार्थों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, अन्य राज्यों में यह भी सामने आया कि कुछ जगहों पर हार्पिक जैसे घातक रसायनों का भी उपयोग हो रहा है। इन आरोपों ने कर्नाटक के फूड विभाग को और सतर्क बना दिया है, जिससे गोलगप्पे के निर्माण केंद्रों पर छापेमारी शुरू हो गई है।
अब फूड विभाग यह देख रहा है कि गोलगप्पे की पुरी बनाने में कौन-कौन सी सामग्री का उपयोग हो रहा है और वो सामग्री कितनी सुरक्षित है। पिछले दो दिनों में कई निर्माण इकाइयों पर छापे मारकर नमूने एकत्र किए गए हैं। इन नमूनों को अब प्रयोगशाला में भेजा गया है, जहां उनकी विस्तार से जांच की जा रही है।
जांच के बाद क्या हो सकता है? जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय हो पाएगा कि गोलगप्पे पर प्रतिबंध लगेगा या नहीं। अगर रिपोर्ट में यह पाया गया कि गोलगप्पे में मिलाए जा रहे पदार्थ स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं, तो संभव है कि फूड विभाग इस पर सख्त कदम उठाए, जिसमें निर्माण प्रक्रिया में बदलाव से लेकर बिक्री पर प्रतिबंध तक शामिल हो सकता है।
फूड विभाग ने सार्वजनिक स्थलों पर “रैपिड फूड टेस्टिंग किट” लगाई हैं, ताकि लोग स्वयं भी खाने की चीजों की गुणवत्ता की जांच कर सकें। इसका उद्देश्य यह है कि लोग मिलावटी खाने से बच सकें और जागरूक रहें। हालांकि, यह कदम उन छोटे व्यवसायियों के लिए चिंता का विषय बन गया है, जो अपनी रोज़ी-रोटी स्ट्रीट फूड से कमाते हैं। अगर गोलगप्पे की बिक्री पर रोक लगती है, तो इसका असर उन विक्रेताओं पर भी पड़ेगा।
इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा है, लेकिन इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि छोटे व्यापारियों को जागरूक किया जाए और उन्हें सही तरीके से खाद्य पदार्थ बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाए। इससे उपभोक्ताओं को भी सुरक्षित भोजन मिलेगा और छोटे व्यापारियों की रोज़ी-रोटी भी बची रहेगी।