भारत का ‘‘Operation Sindoor’ जारी, पाकिस्‍तान की बढ़ी बेचैनी।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी खत्म नहीं हुआ है। यह नाम सुनते ही पाकिस्तान की चिंता और बढ़ जाती है क्योंकि भारत लगातार अपनी रणनीति के जरिए पड़ोसी देश को घेरने में जुटा है। जाने इसके बारे में ? Operation Sindoor

Operation Sindoor :-पाकिस्तान के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कोई पुरानी बात नहीं, बल्कि अभी भी जारी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए पाकिस्तान को घेरने की अपनी रणनीति को और तेज कर दिया है। हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने पड़ोसी देशों के साथ बातचीत कर पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

दो दिन पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से फोन पर लंबी बातचीत की, वहीं हाल ही में NSA अजीत डोभाल ने ईरान के NSA डॉ. अली अकबर अहमदियान से भी गहरी और विस्तार से चर्चा की। इस बातचीत की जानकारी ईरान की सरकार ने खुद दी है, जिससे यह साफ हो गया है कि भारत अपनी रणनीति में बहुत आगे बढ़ चुका है।

भारत-ईरान संबंध मजबूत, पाकिस्तान के लिए चिंता बढ़ी

ईरान के विदेश मंत्रालय ने बयान दिया कि अजीत डोभाल ने ईरान की क्षेत्रीय भूमिका की प्रशंसा की और चाबहार पोर्ट तथा अंतरराष्ट्रीय नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के विकास में सहयोग बढ़ाने की भारत की इच्छा जताई। भारत ने ईरान को हमेशा समर्थन देने के लिए धन्यवाद भी दिया। वहीं, डॉ. अहमदियान ने भी भारत के साथ पुराने रिश्तों की बात कही और भरोसा दिया कि वे हर हाल में भारत के साथ खड़े रहेंगे।

इस बातचीत से साफ है कि भारत और ईरान एक साथ मिलकर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए काम कर रहे हैं। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि अफगानिस्तान और ईरान दोनों जगह पाकिस्तान के संबंध पहले से ही खराब और तनावपूर्ण हैं।

पाकिस्तान की कमजोर होती स्थिति

सामरिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की मल्टीलेयर स्ट्रेटजी (बहु-स्तरीय रणनीति) का हिस्सा है, जिसका मकसद पाकिस्तान को अलग-थलग करना है। अफगानिस्तान में तालिबान सरकार से पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। साथ ही, ईरान के साथ भी सीमा पार आतंकवाद और सुन्नी-शिया मतभेदों को लेकर पाकिस्तान के रिश्ते भरोसेमंद नहीं रहे।

भारत ने इन दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा को कमजोर कर दिया है। चाबहार पोर्ट और INSTC जैसे प्रोजेक्ट्स पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत को मध्य एशिया और यूरोप तक पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे पाकिस्तान की पारंपरिक रणनीतिक अहमियत कम हो रही है।

भारत की आक्रामक कूटनीति

सूत्रों के अनुसार, भारत आने वाले समय में अफगानिस्तान में मानवीय सहायता बढ़ाएगा और ईरान में रणनीतिक निवेश को और मजबूत करेगा। इससे पाकिस्तान की भूराजनीतिक स्थिति और कमजोर होगी। जयशंकर और डोभाल की यह रणनीति यह दर्शाती है कि भारत अब केवल बचाव की सोच नहीं रहा, बल्कि पूरी तरह से आक्रामक कूटनीति पर काम कर रहा है।

भारत की यह कूटनीतिक चाल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हिस्सा है, जो पाकिस्तान को क्षेत्र में अलग-थलग करने और उसकी सीमाओं पर दबाव बढ़ाने की कोशिश है। अफगानिस्तान और ईरान के साथ अपने रिश्तों को मजबूत कर भारत ने पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति को कमजोर कर दिया है। आने वाले दिनों में इस रणनीति का असर और भी ज्यादा स्पष्ट होगा और भारत इस क्षेत्र में अपनी पकड़ को और मजबूत करेगा।

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