Love Triangle:दो प्रेमियों के बीच उलझी लड़की की जिंदगी, सुबह कमरे में मिली लाश

प्यार, जलन और वफादारी की उलझी हुई यह कहानी चेन्नई के पास कट्टनकुलथुर शहर की है, जहां एक 19 साल की इंजीनियरिंग छात्रा सुमित्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। जाने पूरी घटना ? Love Triangle

Love Triangle:-कई बार प्यार की लड़ाई इतनी खतरनाक मोड़ ले लेती है कि किसी की जिंदगी ही खत्म हो जाती है। ऐसा ही एक दर्दनाक और रहस्यमयी मामला तमिलनाडु के कट्टनकुलथुर शहर में सामने आया, जहां एक 19 साल की इंजीनियरिंग छात्रा सुमित्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। यह घटना 14 जुलाई 2014 की सुबह की है, लेकिन 10 साल बाद भी सच सामने नहीं आ पाया कि उस रात क्या हुआ था।

दो प्यार करने वाले, एक लड़की और उसकी मौत

सुमित्रा प्राइवेट कॉलेज में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी। उसके माता-पिता ने उसकी मंगनी उसके रिश्तेदार और सहपाठी एम आनंदन से कर दी थी। लेकिन एक और शख्स था जो सुमित्रा से शादी करना चाहता था—उसका पुराना दोस्त और पड़ोसी इलैयाराजा

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इलैयाराजा ने सुमित्रा को शादी के लिए प्रपोज किया, लेकिन सुमित्रा ने इंकार कर दिया। हालांकि, उसने दोस्ती बनाए रखी, जिससे आनंदन और इलैयाराजा के बीच तनाव बढ़ता गया

जिस रात सबकुछ बदल गया…

13 जुलाई 2014 की रात, कॉलेज के पास आनंदन और इलैयाराजा के बीच झगड़ा हुआ। दोनों के बीच गरमागरम बहस हुई, जिसे वहां मौजूद लोगों ने किसी तरह रोका।

लेकिन इसके बाद रातभर सुमित्रा के फोन पर कॉल्स आती रहीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आधी रात से सुबह 6 बजे तक दोनों ने उसे फोन कर अपने-अपने रिश्ते को खत्म करने का दबाव डाला

अगली सुबह, 14 जुलाई को, जब परिवार ने सुमित्रा को आवाज़ दी, तो उसने दरवाजा नहीं खोला। जब दरवाजा तोड़ा गया, तो सुमित्रा अपने कमरे में मृत पाई गई

10 साल तक चला केस, लेकिन सबूत नहीं मिले

पुलिस ने जांच के बाद आनंदन और इलैयाराजा दोनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया। केस चेंगलपट्टू महिला कोर्ट में चला, लेकिन कई महत्वपूर्ण सबूत गायब हो गए

  • सुमित्रा के पिता ने बयान दिया: “मुझे नहीं पता कि मेरी बेटी ने आत्महत्या क्यों की।” इस बयान से अभियोजन पक्ष का केस कमजोर पड़ गया।
  • सुमित्रा की करीबी दोस्त वैशाली—जो मुख्य गवाह थी—ने कोर्ट में कहा कि “सुमित्रा ने कभी यह नहीं बताया कि उसे कोई परेशान कर रहा है।”
  • पुलिस दोनों लड़कों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) भी कोर्ट में पेश नहीं कर पाई। इससे यह साबित नहीं हो सका कि उन्होंने सुमित्रा पर दबाव डाला था।

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10 फरवरी 2024 को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में दोनों युवकों को बरी कर दिया

आज भी सवाल अधूरा…

सुमित्रा की मौत के 10 साल बाद भी सच्चाई पर पर्दा पड़ा हुआ है। कोई नहीं जानता कि क्या सच में यह आत्महत्या थी, या किसी ने उसे इस कदम के लिए मजबूर किया

जो घर कभी सुमित्रा की हंसी से गूंजता था, वहां आज भी एक सवाल अधूरा रह गया है—उस रात आखिर सच में क्या हुआ था?

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