“मुसलमान सब्र में है, कब्र में नहीं। पहले शरीयत है, फिर संविधान। मुसलमान सड़क पर आएगा, मार-काट होगी, देश बर्बाद होगा।” जाने पूरी खबर इस ब्लॉग में ? 

Hafizul Hasan Muslims Protest Against Waqf Act::-18 अप्रैल, 2025 को देश की राजनीति में उस वक्त हलचल मच गई जब झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन ने एक बेहद विवादित और भड़काऊ बयान दे दिया। मंत्री ने कहा —
“मुसलमान सब्र में है, कब्र में नहीं। पहले शरीयत है, फिर संविधान। मुसलमान सड़क पर आएगा, मार-काट होगी, देश बर्बाद होगा।”
इस बयान ने देशभर में सियासी आग लगा दी। और इसके कुछ घंटों बाद ही कर्नाटक में इसका ट्रेलर दिखा।
📌 कर्नाटक की सड़कों पर हजारों की भीड़, नारों और झंडों के साथ विरोध
18 अप्रैल को कर्नाटक के कन्नूर, दक्षिण कन्नड़, उडुपी, चिकमंगलूर और कोडागु जैसे इलाकों में हजारों की भीड़ वक्फ एक्ट में बदलाव के खिलाफ सड़कों पर उतर आई।
प्रदर्शनकारियों के हाथों में झंडे थे, वो नारे लगा रहे थे और साफ़ संदेश दे रहे थे —
“हम अभी जिंदा हैं, सरकार हमसे टकराने की गलती न करे।”
‘स्टेट उलेमा कोऑर्डिनेशन कमेटी’ की अगुवाई में हुए इस प्रदर्शन में दावा किया गया कि करीब 3,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए।
गनीमत रही कि प्रदर्शन के दौरान कोई हिंसक घटना नहीं हुई, लेकिन माहौल काफी तनावपूर्ण बना रहा।
📌 क्या है वक्फ एक्ट में बदलाव?
अब तक की व्यवस्था ये थी कि अगर कोई ज़मीन सालों-सदियों से मस्जिद, कब्रिस्तान, दरगाह या धार्मिक स्थल के तौर पर इस्तेमाल हो रही है, तो भले ही उसके पास सरकारी रिकॉर्ड न हो — वो वक्फ संपत्ति मानी जाती थी।
लेकिन अब नए संशोधन में ये व्यवस्था खत्म कर दी गई है।
🔴 अब क्या होगा?
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अगर कोई ज़मीन धार्मिक इस्तेमाल में है, लेकिन उसके रिकॉर्ड नहीं हैं, तो वो वक्फ नहीं मानी जाएगी।
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अगर किसी ज़मीन को लेकर विवाद है और सरकार उसे सरकारी ज़मीन बता रही है, तो अब वो वक्फ संपत्ति नहीं रहेगी।
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सबसे अहम बात — अब ये तय करने का अधिकार सरकारी अफसरों के हाथ में होगा कि कौन-सी ज़मीन वक्फ है और कौन-सी नहीं।
📌 कानून पर सुप्रीम कोर्ट की नज़र
वक्फ एक्ट में संशोधन होते ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई। कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा है।
इस बीच, बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद से लेकर अब कर्नाटक तक विरोध प्रदर्शन तेज़ होते जा रहे हैं।
📌 कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार
प्रदर्शनों पर रोक लगाने की बजाय राज्य सरकार ने बस ट्रैफिक डायवर्जन कर दिया।
इस पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा —
“जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तब प्रदर्शन की इजाज़त क्यों दी?”
कोर्ट ने साफ किया कि यह महज ट्रैफिक का मसला नहीं, बल्कि संवैधानिक मर्यादा का मुद्दा है।
अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।
सरकार अपने फैसले पर फिलहाल क़दम पीछे खींचने के मूड में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में केस की गहराई से सुनवाई जारी है।
वहीं, दूसरी ओर उलेमा, राजनीतिक दल और धार्मिक संगठन इसे वक्फ की लड़ाई नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला मान रहे हैं।
उनका आरोप है कि सरकार मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए कानून में बदलाव कर रही है।
इस पूरे विवाद से साफ है कि आने वाले दिनों में वक्फ एक्ट संशोधन को लेकर देशभर में माहौल गर्म रह सकता है।
जहां एक तरफ सरकार इसे अवैध कब्जों और विवादित संपत्तियों पर रोक लगाने वाला कदम बता रही है, वहीं दूसरी तरफ कई संगठन और नेता इसे धार्मिक अधिकारों का हनन मान रहे हैं।
अब देखना ये होगा कि सुप्रीम कोर्ट में 23 अप्रैल को क्या फैसला आता है, और क्या प्रदर्शन थमते हैं या और तेज़ होते हैं।