नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का रविवार को काठमांडू एयरपोर्ट पर हजारों समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया। उनके समर्थकों ने न केवल राजशाही की वापसी की मांग की, बल्कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की भी जोरदार अपील की। जाने पूरी खबर ? 

Nepal Hindu Monarchy:-नेपाल में इन दिनों फिर से राजशाही की बहाली और देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग उठ रही है। हाल ही में काठमांडू एयरपोर्ट पर हजारों समर्थकों ने नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का भव्य स्वागत किया। इस दौरान समर्थकों ने जोर-शोर से राजशाही की वापसी और नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग की। इस प्रदर्शन में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के कार्यकर्ता भी शामिल थे, जो नेपाल में राजशाही की बहाली के लिए लगातार सक्रिय है।
लेकिन सवाल यह है कि नेपाल में अचानक राजशाही की मांग क्यों बढ़ रही है? लोग गणतंत्र से निराश क्यों हैं? और नेपाल में राजनीति का हाल कैसा है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
कैसे खत्म हुई नेपाल की राजशाही?
नेपाल एक समय हिंदू राजशाही के रूप में जाना जाता था, जहां राजा को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता था। लेकिन 2008 में संसद ने राजशाही खत्म करके नेपाल को एक गणराज्य घोषित कर दिया।
इसका कारण था राजनीतिक अस्थिरता और माओवादी विद्रोह।
- 2001 में नेपाल के तत्कालीन राजा बीरेंद्र और उनके पूरे परिवार की हत्या हो गई। इसके बाद उनके छोटे भाई ज्ञानेंद्र शाह को नेपाल का राजा बनाया गया।
- 2005 में ज्ञानेंद्र शाह ने देश की पूरी सत्ता अपने हाथ में ले ली और लोकतंत्र को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि यह कदम देश को माओवादी विद्रोहियों से बचाने के लिए जरूरी है।
- इस फैसले के खिलाफ जनता ने 2006 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इससे मजबूर होकर ज्ञानेंद्र शाह को सत्ता छोड़नी पड़ी।
- 2008 में नेपाल की संसद ने राजशाही को पूरी तरह खत्म कर दिया और नेपाल एक लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया।
नेपाल में क्यों बढ़ रही है राजशाही की मांग?
राजशाही के खत्म होने के बाद नेपाल में लगातार राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। पिछले 18 सालों में नेपाल में 13 बार सरकारें बदलीं।
लोगों को लगता है कि:
- नेताओं ने देश को भ्रष्टाचार और राजनीतिक उठापटक में फंसा दिया है।
- गणराज्य बनने के बाद भी देश में कोई ठोस विकास नहीं हुआ।
- नेपाल की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती जा रही है।
- लोगों को रोज़गार नहीं मिल रहा, महंगाई बढ़ रही है।
इन सब कारणों से नेपाल के कुछ लोग मानने लगे हैं कि राजशाही के समय देश में ज्यादा स्थिरता और शांति थी। इसलिए वे फिर से राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं।
नेपाल की मौजूदा राजनीति
नेपाल में इस समय कम्युनिस्ट पार्टी (CPN-UML) के नेता केपी ओली प्रधानमंत्री हैं। उनके साथ नेपाली कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा भी सत्ता साझा कर रहे हैं।
नेपाल में राजशाही का समर्थन करने वाली पार्टी ‘राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP)’ संसद में मौजूद है, लेकिन उसकी ताकत अभी बहुत ज्यादा नहीं है। 2022 के चुनावों में इसे 275 में से सिर्फ 14 सीटें मिलीं।
हालांकि, पिछले कुछ महीनों में आरपीपी की ताकत बढ़ती दिख रही है। पार्टी के समर्थक और कई आम लोग राजशाही को दोबारा लाने की मांग कर रहे हैं।
क्या नेपाल फिर से हिंदू राष्ट्र बनेगा?
नेपाल 2008 से एक धर्मनिरपेक्ष देश है। इससे पहले नेपाल दुनिया का इकलौता हिंदू राष्ट्र था।
राजशाही समर्थक और कुछ हिंदू संगठनों की मांग है कि नेपाल को दोबारा हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए।
- समर्थकों का कहना है कि नेपाल की परंपरा और संस्कृति हिंदू धर्म से जुड़ी हुई है, इसलिए इसे धर्मनिरपेक्ष नहीं होना चाहिए।
- इसके अलावा नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह भी कई बार यह बयान दे चुके हैं कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाया जाना चाहिए।
हालांकि, नेपाल की मौजूदा सरकार इस मांग को खारिज कर रही है।
क्या नेपाल में फिर से राजशाही आ सकती है?
फिलहाल नेपाल की संसद और सरकार राजशाही की वापसी के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन अगर जनता का समर्थन बढ़ता रहा, तो भविष्य में इस पर बहस हो सकती है।
नेपाल में अगला आम चुनाव 2027 में होगा। अगर तब तक राजशाही समर्थक पार्टियां मजबूत हो गईं, तो वे इस मुद्दे को संसद में उठा सकती हैं।
हालांकि, नेपाल के कई राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि राजशाही की वापसी आसान नहीं होगी।
- क्योंकि 2008 में जिस आंदोलन के कारण राजशाही खत्म हुई थी, उसे जनता का भारी समर्थन मिला था।
- नेपाल की मौजूदा युवा पीढ़ी लोकतंत्र की समर्थक है।
- राजशाही समर्थक पार्टी RPP अभी बहुत बड़ी ताकत नहीं है।
इसलिए अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि नेपाल फिर से राजशाही की ओर बढ़ रहा है।
नेपाल में इस समय गणतंत्र के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है। लोग भ्रष्टाचार, आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से परेशान हैं। इसी वजह से कुछ लोग राजशाही की वापसी की मांग कर रहे हैं।
हालांकि, नेपाल में लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत है और सरकारें राजशाही की बहाली के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन अगर जनता का गुस्सा और बढ़ा, तो भविष्य में यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।