जिस जगह पर कुछ दिन पहले सैलानियों को निशाना बनाया गया, वहां तीसरे ही दिन फिर से पर्यटकों की वापसी यह बताती है कि डर को भारतवासी झुकने नहीं देते। जाने पूरी खबर इस ब्लॉग में ? 

Pahalgam News:-श्रीनगर की डल झील, हमेशा से अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती है। लेकिन इस बार, यहां तैरते शिकारे सिर्फ सैर-सपाटे का जरिया नहीं थे, बल्कि हिंदुस्तानी हिम्मत और हौसले की पहचान बन गए।
तीन दिन पहले ही, कश्मीर की ज़मीन पर कुछ आतंकवादियों ने बहुत कायराना हमला किया। उन्होंने निहत्थे और मासूम सैलानियों को अपना निशाना बनाया। एक ऐसा इलाका जहां लोग सुकून की तलाश में आते हैं, वहां खून बहाना बेहद दुखद था।
लेकिन, बस तीन दिन बाद ही वही डल झील फिर से गुलजार हो गई। लोग फिर शिकारे पर बैठकर झील की सैर करने लगे। यह कोई मामूली बात नहीं है। यह दिखाता है कि हम भारतीय सिर्फ डर के आगे झुकते नहीं, बल्कि हिम्मत से उसका सामना करते हैं।
हिंदुस्तानी जनता का यह साहस किसी भी हथियार, टैंक या एटम बम से ज्यादा ताकतवर है।
हालांकि, यह भी सच है कि हममें से कई लोगों ने डर के कारण कश्मीर जाने की अपनी टिकट कैंसिल कर दीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे लोग डरपोक हैं। वे बस एहतियात बरत रहे हैं। मगर फिर भी जब तीसरे दिन सूरज निकला, तो सैलानियों का एक जत्था उसी डल झील की ओर बढ़ चला — यह हिम्मत की मिसाल है।
पाकिस्तान का हाल और पुराना रिश्ता
पाकिस्तान कभी हिंदुस्तान का ही हिस्सा था। आजादी की लड़ाई में दोनों तरफ के लोगों ने एक साथ मिलकर अंग्रेजों को मुश्किल में डाल दिया था। लेकिन अब वह पाकिस्तान नहीं रहा।
अब पाकिस्तान की सरकार और खासकर वहां की फौज अपनी जनता को हकीकत से दूर रखती है। उन्हें तरह-तरह की झूठी बातें बताई जाती हैं, ताकि वे फौज की चालों को न समझ सकें। आज पाकिस्तान में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि वहां के लोग असल बात समझने की बजाय वही सुनते हैं जो उन्हें सुनाया जाता है।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मलिक और उनके जैसे दूसरे जनरल अब भी सत्ता में बने रहने के लिए भाषणबाज़ी करते हैं, डर दिखाते हैं, और झूठी उम्मीदें देते हैं। लेकिन वे भूल जाते हैं कि अब भारत वो भारत नहीं रहा।
आज का भारत: ताकत और ज़रूरत दोनों
आज भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ताकतों में गिना जाता है। न सिर्फ ताकत के मामले में, बल्कि व्यापार और तकनीक में भी।
भारत आज दुनिया के लिए एक ज़रूरत बन चुका है — चाहे वह टेक्नोलॉजी हो, दवाइयां हों, या अन्य सामान। भारत की इंडस्ट्री, उसकी प्लानिंग, और उसकी मेहनतकश जनता ने भारत को वह मुकाम दिला दिया है कि दुनिया भर के देश उससे रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं।
दूसरी तरफ पाकिस्तान की हालत यह है कि उसे कर्ज देने वाले देश तक नहीं मिल रहे। केवल एटम बम बना लेने से कोई देश ताकतवर नहीं बन जाता। अगर देश की नीतियां साफ़ न हों, रणनीति मजबूत न हो, और जनता की सोच आगे न बढ़े — तो कोई भी हथियार काम नहीं आता।
पाकिस्तान को इसका एक ज़िंदा सबूत 1971 में मिल चुका है, जब उसके एक लाख से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया था। उस समय भारत का आर्थिक कद इतना बड़ा भी नहीं था, फिर भी भारत ने साफ रणनीति और मजबूत इच्छाशक्ति से वह लड़ाई जीती थी।
आज अमेरिका और चीन की नज़रें भी बदली हैं
पाकिस्तान को पहले अमेरिका का समर्थन मिला करता था। लेकिन जब अमेरिका की फौज अफगानिस्तान से निकल गई और उसका आखिरी जहाज काबुल से उड़ गया, तभी से अमेरिका ने पाकिस्तान की ओर देखना भी बंद कर दिया।
अब अमेरिका को लगता है कि भारत उसके लिए एक बेहतर साथी हो सकता है — खासकर चीन के मुकाबले में। भारत आज अमेरिका की नज़र में न सिर्फ एक साथी है, बल्कि एक मजबूत बाज़ार भी है। यही वजह है कि अमेरिका अब पाकिस्तान की बजाय भारत को प्राथमिकता देता है।
दूसरी तरफ चीन भी यह बात जानता है कि भारत और अमेरिका दोनों से एक साथ पंगा लेना उसके लिए नुकसानदायक होगा। इसलिए वह अब पाकिस्तान के लिए अपनी नीति बदल चुका है। उसे अब भारत और अमेरिका दोनों की ज़रूरत है।
सिर्फ एटम बम, फौज या भाषण देने से कोई देश महान नहीं बनता। असली ताकत उस देश के लोगों की सोच, हिम्मत, मेहनत और योजना में होती है।
डल झील के शिकारे हमें यही याद दिलाते हैं — कि हिंदुस्तान की असली ताकत उसकी जनता है। वो जनता जो डरने नहीं जानती। जो दुख झेल कर भी मुस्कुराना जानती है। जो हर हाल में आगे बढ़ती है।
यही फर्क है भारत और पाकिस्तान के बीच का। और यही वजह है कि भारत आज दुनिया में सर उठाकर खड़ा है।