Prayagraj MahaKumbh:-प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में होता है, जहां लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आकर संगम में डुबकी लगाते हैं। जाने इसके बारे में ? 

Prayagraj MahaKumbh:-उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस समय महाकुंभ की धूम मची हुई है। हर दिन लाखों श्रद्धालु यहां संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। लोगों का मानना है कि इस पवित्र स्नान से उनके सारे पाप धुल जाते हैं और वे जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं। चाहे प्लेन हो, ट्रेन हो, बस हो, या फिर निजी वाहन – श्रद्धालु किसी भी माध्यम से प्रयागराज पहुंच रहे हैं। हर किसी की मंजिल वही पवित्र संगम है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है।
संगम का महत्व क्यों है खास?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर संघर्ष हुआ था, तब अमृत की कुछ बूंदें इस संगम स्थल पर गिरी थीं। इसी वजह से इसे इतना पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुंभ के दौरान संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गलत घाट पर स्नान का भ्रम
हालांकि, कुछ श्रद्धालु अनजाने में यमुना नदी के अन्य घाटों पर स्नान कर लेते हैं। उन्हें लगता है कि किसी भी घाट पर डुबकी लगाना समान है। लेकिन ऐसा नहीं है। धार्मिक विशेषज्ञों के अनुसार, महाकुंभ के स्नान का असली महत्व त्रिवेणी संगम में ही है। अन्य घाटों पर स्नान करना महाकुंभ स्नान का सही लाभ नहीं देता।
सही घाट का चयन कैसे करें?
महाकुंभ में संगम स्नान के लिए आपको सही घाट का चयन करना जरूरी है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें बताया गया है कि प्रयागराज में गंगा और यमुना के मिलन का स्थान ही असली त्रिवेणी संगम है।
यमुना नदी पर मौजूद घाटों के नाम:
- काली घाट
- सरस्वती घाट
- किला घाट
- अरैल घाट – यह घाट केवल नाव किराए पर लेने के लिए है। यहां से आप नाव लेकर त्रिवेणी संगम तक पहुंच सकते हैं।
त्रिवेणी संगम का महत्व:
त्रिवेणी संगम वह स्थान है जहां गंगा और यमुना एक-दूसरे से मिलती हैं और सरस्वती नदी का भी यहां अदृश्य प्रवाह माना जाता है। संगम पर स्नान का विशेष महत्व है। इसके अलावा, छतनाग घाट और दशाश्वमेध घाट भी पवित्र माने जाते हैं, लेकिन ये संगम घाट से थोड़े दूर हैं, इसलिए वहां कम लोग पहुंचते हैं।
महाकुंभ में कैसे पहुंचें त्रिवेणी संगम?
अगर आप भी महाकुंभ में संगम स्नान की योजना बना रहे हैं, तो ध्यान रखें कि किसी भी स्थानीय व्यक्ति से संगम घाट का रास्ता पूछें। लोग आपकी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। संगम घाट पर पहुंचने के बाद आप नाव के माध्यम से उस पवित्र स्थान तक जा सकते हैं, जहां संगम का वास्तविक मिलन होता है।
महाकुंभ के दौरान क्या ध्यान रखें?
- भीड़भाड़ का ध्यान रखें – सुबह जल्दी जाएं ताकि भीड़ कम हो।
- सही घाट का चयन करें – त्रिवेणी संगम या संगम घाट पर ही स्नान करें।
- सुरक्षा का ध्यान रखें – स्थानीय प्रशासन की गाइडलाइंस का पालन करें।
- नाव का उपयोग करें – संगम के बीच तक पहुंचने के लिए नाव लें।
महाकुंभ का अनुभव:
महाकुंभ केवल स्नान का पर्व नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक शांति और आस्था का उत्सव है। यहां पहुंचने के बाद संगम की पवित्रता और वातावरण आपको एक अलग ही अनुभव देता है। श्रद्धालुओं का उत्साह, भजन-कीर्तन की गूंज और चारों तरफ फैली आस्था इस आयोजन को अद्वितीय बनाती है।