Sambhal Jama Masjid controversy:-उत्तर प्रदेश के संभल जिले की शाही जामा मस्जिद को लेकर हाल ही में विवाद गहराता जा रहा है। ऐतिहासिक अभिलेखों और सरकारी दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया जा रहा है, जाने इसके क्या सच है ? 

Sambhal Jama Masjid controversy:-संभल की शाही जामा मस्जिद और हरि हर मंदिर के विवाद ने इतिहास के पुराने पन्नों को फिर से चर्चा में ला दिया है। पुरातत्व विभाग, गजेटियर मुरादाबाद और ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के आधार पर इस मसले पर कई दावे किए जा रहे हैं।
संभल का पुराना नाम
संभल, जिसे पहले “संभलापुर” के नाम से जाना जाता था, पुराने समय में बिखरे हुए टीलों पर बसा था। इस क्षेत्र में भगवान विष्णु के एक प्राचीन मंदिर के होने का दावा किया जाता है, जिसे “हरि मंदिर” कहा जाता था। गजेटियर मुरादाबाद (1968) में इस बात का उल्लेख है कि इस मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान ने कराया था।
मंदिर से मस्जिद में बदलाव:
- गजेटियर मुरादाबाद (1968)
- इसमें लिखा गया है कि इस्लामी शासन के दौरान संभल के किले पर स्थित हरि मंदिर को तोड़कर मस्जिद में तब्दील कर दिया गया।
- कहा गया है कि यह परिवर्तन मुगलों के शासनकाल में हुआ।
- बाबरनामा
- बाबर की आत्मकथा ‘बाबरनामा’ (पेज 687) के अनुसार, बाबर ने संभल में एक मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का आदेश दिया था।
- इस कार्य को बाबर के सेनापति मीर बेग ने पूरा किया।
- आईने-ए-अकबरी
- अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फज़ल ने ‘आईने-ए-अकबरी’ (पेज 281) में उल्लेख किया है कि संभल में “हरि मंडल” नाम का मंदिर था।
- इसे भगवान विष्णु का मंदिर बताया गया और यह भी लिखा गया कि यह स्थान “भगवान कल्कि” के जन्म से जुड़ा हुआ है।
पुरातात्त्विक सर्वेक्षण (ASI) की 1879 की रिपोर्ट
पुरातत्व विभाग (ASI) की 1879 की एक रिपोर्ट में भी इस मस्जिद से संबंधित दिलचस्प जानकारियां सामने आईं:
- मस्जिद के स्तंभ लाल पत्थर से बने हैं, जो प्राचीन हिंदू मंदिरों के खंभों जैसे दिखते हैं।
- इन स्तंभों पर प्लास्टर चढ़ाया गया था, जिसे हटाने पर स्पष्ट हुआ कि ये मंदिर के ही हिस्से थे।
- मस्जिद के अंदर एक शिलालेख मौजूद है, जिसमें इसका निर्माण काल दर्ज है।
शिलालेख और खंभे: मंदिर के प्रमाण?
- मस्जिद में पाए गए खंभों की शैली और संरचना से यह अनुमान लगाया जाता है कि वे किसी मंदिर से संबंधित थे।
- शिलालेख में मस्जिद के निर्माण का समय और संबंधित जानकारी दी गई है।
विवाद
इस विवाद के केंद्र में यह सवाल है कि क्या वाकई संभल की जामा मस्जिद से पहले वहां हरि मंदिर था। यदि इतिहास के इन दस्तावेजों और रिपोर्ट्स को सही माना जाए, तो यह दावा इतिहास के पुनर्मूल्यांकन की मांग करता है।
इतिहासकारों की राय
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि ऐसे विवाद ऐतिहासिक साक्ष्यों और तथ्यों के गहन अध्ययन की मांग करते हैं। वहीं, अन्य इसे धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रेरित मानते हैं।
आगे की राह
यह मुद्दा फिलहाल अदालत में है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर स्थानीय प्रशासन तक सभी पक्ष इस मामले में साक्ष्यों और तर्कों का मूल्यांकन कर रहे हैं।
संभल जामा मस्जिद और हरि हर मंदिर का यह विवाद इतिहास, धर्म और पुरातत्व का एक जटिल संगम है। आगे क्या निष्कर्ष निकलता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। इस विवाद ने एक बार फिर हमें इतिहास को समझने और तथ्यों को प्रमाणित करने की जिम्मेदारी याद दिलाई है।