श्रीकृष्ण जन्मस्थान विवाद:सुप्रीम कोर्ट का आया मथुरा शाही ईदगाह पर फैसला ,इस SC ने किया मना !

श्रीकृष्ण जन्मस्थान विवाद:-भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 15 दिसंबर, 2023 को मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। इस फैसले से मथुरा के शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। जाने पूरी खबर

शाही ईदगाह सर्वे:-मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद के पास स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सर्वेक्षण के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्टने यह भी कहा की इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के हम सरहाना करते है पर इस आदेश रोक नहीं लगाने से इनकार करते है और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को बताया जाए कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इस पर 9 जनवरी को सुनवाई ओर होने वाली है ,अगर जो व्यक्ति इस आदेश से कोई भी परेशानी है तो वो कानून के अनुसार कोर्ट में अपील कर सकता है , आपको बाते की हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. और अब सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया है.

मुस्लिम पक्ष:- मुस्लिम पक्ष के वकील ने हुजैफा अहमदी ने कहा कि हमने पहले से ही इस केस से जुड़े सारे मुकदमों को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा अपने पास ट्रांसफर करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत बताते हुए लिखित दलीलें जमा कराने को कहा था. अभी ये मसला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग ही है. लेकिन इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्वे के लिए कमिश्नर की नियुक्ति का आदेश पास कर दिया है, जिसका गलत असर होगा.

हम आपको बता दे कि मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में सर्वे की इजाजत देने पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. अर्जेंट बेसिस पर सुनवाई की मांग को लेकर वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सर्वे कराने के आदेश को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्ट की डिविजन बेंच ने इस मसले की सुनवाई की और दखल देने से इनकार कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार:-इस पर वकील की ओर से कहा गया कि हमने सुप्रीम कोर्ट में लंबित सुनवाई का हवाला दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने हमारी बात को नहीं सुना. आज के बाद सुप्रीम कोर्ट शीतकालीन अवकाश के लिए बंद हो रहा है. अगर हाईकोर्ट आगे कोई आदेश पास करता है तो उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तुंरत सुनवाई संभव नहीं हो पाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि अभी हम कोई दखल नहीं दे रहे. अगर हाईकोर्ट का कोई आदेश आपके खिलाफ जाता है तो आप सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं.

हिंदू पक्ष का दावा है कि 17वीं शताब्दी में मंदिर को तोड़कर मस्जिद को अवैध तरीके से बनाया गया था. प्रमाण के तौर पर मस्जिद की दीवारों पर कमल के फूल और शेषनाग की आकृति है, जो बताती हैं कि मस्जिद को मंदिर के ऊपर बनाया गया. हिंदू पक्ष ने ईदगाह मस्जिद को हटाने और मस्जिद वाली जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की है. हिंदू पक्ष का ये भी दावा है कि नगर निगम में मुस्लिम पक्ष का नाम दर्ज नहीं है और रेवेन्यू रिकॉर्ड में पूरी जमीन मंदिर ट्रस्ट के नाम है.

इस विवाद का इतिहास 16वीं शताब्दी में शुरू होता है। उस समय मथुरा मुगल साम्राज्य के अधीन था। मुगल शासक बाबर ने 1528 में मथुरा पर हमला किया और इस शहर को जीत लिया। बाबर ने इस शहर में कई मंदिरों को तोड़ दिया और उनकी जगह पर मस्जिदें बनाईं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। हिंदू पक्ष का कहना है कि बाबर ने भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित एक मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद बनाई थी। इस विवाद को लेकर 1968 में एक समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत इस स्थल को दो भागों में बांट दिया गया था। एक भाग में श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर था और दूसरे भाग में शाही ईदगाह मस्जिद थी। हाल के वर्षों में इस विवाद ने फिर से जोर पकड़ा है। हिंदू पक्ष ने इस समझौते को अवैध बताया है और मांग की है कि इस स्थल को पूरी तरह से हिंदुओं को सौंप दिया जाए।

 

 

 

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