Tejashwi Yadav का बयान वायरल: ‘नजर रखिए, आपका नाम हटाया तो पेंशन भी जाएगी’

“बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। इस बार मामला जुड़ा है वोटर लिस्ट और पेंशन से—और बयान आया है तेजस्वी यादव की ओर से। जाने इसके बारे में ? Tejashwi Yadav

Tejashwi Yadav News:-दरअसल, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की वोटर लिस्ट को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। चुनाव आयोग ने उनसे सवाल पूछा है कि उनके पास दो अलग-अलग EPIC ID (मतदाता पहचान पत्र) कैसे हैं? अभी ये विवाद खत्म भी नहीं हुआ था कि तेजस्वी ने रविवार को एक और बयान देकर नया बवाल खड़ा कर दिया।

🔥 तेजस्वी का बयान – “अगर वोटर लिस्ट से नाम कटा तो राशन और पेंशन नहीं मिलेगी”

तेजस्वी यादव ने जनता से कहा कि सतर्क रहिए, क्योंकि अगर किसी का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया, तो उसे न तो राशन मिलेगा और न ही पेंशन। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जब वोट मांगती है, तो घर-घर जाती है, लेकिन पेंशन देने के वक्त इतनी सख्ती क्यों?

उनका यह बयान सोशल मीडिया और राजनीति के गलियारों में तेज़ी से वायरल हो रहा है। जहां कुछ लोग इसे गरीबों की आवाज़ कह रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे राजनीति से प्रेरित भड़काऊ बयान मान रहे हैं।

🤔 सवाल ये उठता है कि – क्या सच में वोटर लिस्ट से नाम कटने पर पेंशन रुक सकती है?

इसका जवाब थोड़ा विस्तार से समझना जरूरी है।

भारत में सरकार कई तरह की पेंशन योजनाएं चलाती है, जैसे कि:

  • वृद्धावस्था पेंशन

  • विधवा पेंशन

  • दिव्यांग पेंशन

  • बेसहारा महिलाओं के लिए पेंशन

  • किसान पेंशन (जैसे PM किसान योजना)

  • रिटायर सरकारी कर्मचारियों की पेंशन

इन योजनाओं में से ज़्यादातर राज्य सरकारें चलाती हैं, जबकि कुछ योजनाएं केंद्र सरकार से जुड़ी होती हैं।

✅ पेंशन के लिए जरूरी दस्तावेज

पेंशन के लिए आमतौर पर जिन दस्तावेजों की मांग होती है, वे इस प्रकार हैं:

  • आधार कार्ड

  • बैंक पासबुक

  • राशन कार्ड या आय प्रमाण पत्र

  • जन्मतिथि का प्रमाण या उम्र से जुड़ा दस्तावेज

  • पासपोर्ट साइज फोटो

  • दिव्यांगता प्रमाण पत्र (यदि जरूरी हो)

  • कुछ मामलों में वोटर ID

अब सवाल है, क्या वोटर लिस्ट में नाम होना जरूरी है?

📄 बिहार का मामला क्या कहता है?

बिहार में मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना (MVPY) के लिए जो डॉक्यूमेंट मांगे जाते हैं, उनमें आधार कार्ड, बैंक पासबुक और वोटर लिस्ट की प्रति शामिल है। यानी वोटर लिस्ट यहां एक पहचान प्रमाण के रूप में इस्तेमाल हो सकती है।

लेकिन क्या वोटर लिस्ट में नाम न होने से पेंशन रुक जाएगी?
इसका सीधा जवाब है — यह राज्य सरकार की नीति पर निर्भर करता है।

कुछ राज्यों में वोटर ID केवल पहचान के लिए मांगी जाती है, न कि पेंशन रोकने का आधार बनाया जाता है। लेकिन अगर पेंशन सत्यापन में यह जरूरी शर्त बन जाती है, और किसी का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है, तो उसे प्रक्रिया में दिक्कत आ सकती है।

🧓 तेजस्वी का तर्क

तेजस्वी यादव का कहना है कि कई गरीब, बुजुर्ग और अशिक्षित लोगों का नाम वोटर लिस्ट से गलती से कट जाता है। ऐसे में अगर सरकार वोटर लिस्ट को पेंशन से जोड़ देगी, तो ये लोग बेवजह पेंशन से वंचित हो सकते हैं।

उन्होंने सवाल उठाया — “जब सरकार को वोट चाहिए होता है तो वो घर-घर जाती है, लेकिन जब पेंशन देने की बारी आती है तो पहचान के लिए इतनी सख्ती क्यों?”

📢 अब तक सरकार की प्रतिक्रिया?

तेजस्वी के बयान के बाद बिहार सरकार की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसको लेकर चर्चा तेज़ हो गई है। लोग सोच में पड़ गए हैं कि कहीं उनका नाम वोटर लिस्ट से गायब तो नहीं है और क्या उन्हें अब पेंशन और राशन मिलना बंद हो जाएगा?

वोटर लिस्ट में नाम होना कई योजनाओं के लिए एक जरिया हो सकता है पहचान का, लेकिन यह कहना कि नाम न होने से पेंशन और राशन बंद हो जाएगा — पूरी तरह से सही नहीं है। हां, कुछ राज्यों में यह दस्तावेज जरूरी माना जा सकता है, परंतु यह नीति हर जगह एक जैसी नहीं होती।

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